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सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के खिलाफ पति के धोखाधड़ी के मामले को खारिज किया; कहा, बदला लेने के लिए पति ने दायर किया था यह मामला [आर्डर पढ़े]
![सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के खिलाफ पति के धोखाधड़ी के मामले को खारिज किया; कहा, बदला लेने के लिए पति ने दायर किया था यह मामला [आर्डर पढ़े] सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के खिलाफ पति के धोखाधड़ी के मामले को खारिज किया; कहा, बदला लेने के लिए पति ने दायर किया था यह मामला [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/01/Supreme-Court-of-India.jpg)
यह पति द्वारा पत्नी से बदला लेने का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है क्योंकि वह गुजारा भत्ता के लिए मामला दायर करने के पत्नी के कदम से दुखी था, सुप्रीम कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही। पति ने पत्नी पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए मामला दायर किया था।
यह इस बात का भी उत्कृष्ट उदाहरण है कि अदालतें आपराधिक शिकायतों से किस तरह से निपटती हैं। आश्चर्य की बात यह है कि हाईकोर्ट ने भी इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया।
शादी के चार साल के बाद पति ने पत्नी के खिलाफ ‘धोखा देने’ का मामला दर्ज कराया था। पति ने आरोप लगाया था कि शादी के समय वह एमसीए उत्तीर्ण नहीं थी जबकि उसने और उसके माँ-बाप ने गलत बताया था कि वह एमसीए पूरा कर चुकी है। मजिस्ट्रेट ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पत्नी और अन्य लोगों को सम्मन जारी कर दिया। हाईकोर्ट ने भी इस मामले को यह कहते हुए खारिज करने से इनकार कर दिया कि यह नहीं कहा जा सकता कि इस मामले में प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है। और इस तरह इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
न्यायमूर्ति एनवी रमना और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनागौदर की पीठ ने कहा कि पत्नी ने पति के खिलाफ दहेज़ माँगने और प्रताड़ित करने के कई मामले दर्ज कराए थे। पीठ ने यह भी कहा कि पत्नी के गुजारा भत्ता के लिए 35 हजार रुपए की मांग के बारे में मामला दर्ज कराने के बाद पति ने धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया।
पीठ ने कहा, “हमारी राय में पति ने पत्नी द्वारा कई मामले दर्ज कराये जाने की प्रतिक्रया में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है।”
कोर्ट ने कहा कि पति का सबसे बड़ा आरोप यह है कि पत्नी शादी के समय एमसीए उत्तीर्ण नहीं थी जबकि अपीलकर्ता ने शादी के समय कहा था कि वह एमसीए उत्तीर्ण है। पति द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहीं से भी इसके अलावा पत्नी के खिलाफ और कोई शिकायत नहीं की गई है। दिलचस्प बात यह है कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने प्रतिवादी नंबर दो की शिकायत के आधार पर सभी आवेदकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 504 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की।
कोर्ट ने कहा, “यह निर्विवाद है कि आवेदनकर्ता नंबर एक अपनी शादी के समय एमसीए की पढ़ाई कर रही थी और शादी के बाद उसने एमबीए की पढ़ाई भी शुरू कर दी। उसके दो बच्चे हैं। आवेदनकर्ता नंबर एक और प्रतिवादी नंबर दो दोनों ही लगभग आठ साल तक साथ रहे हालांकि उनके बीच बहुत सारी बातों को लेकर मतान्तर बना रहा और अपीलकर्ता नंबर एक ने प्रतिवादी नंबर दो के खिलाफ उत्पीडन के कई मामले दर्ज कराए। सिर्फ इस आरोप के आधार पर कि अपीलकर्ता नंबर एक शादी के समय एमसीए उत्तीर्ण नहीं थी, जबकि शादी के बाद उसने एमसीए पूरा किया, यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता ने प्रतिवादी नंबर दो को धोखा दिया है विशेषकर तब जब शादी के बाद प्रतिवादी नंबर दो पति के रूप में अपीलकर्ता नंबर एक के साथ रहा है और उनके दो बच्चे पैदा हुए हैं।”
पीठ ने इसके बाद इस शिकायत को खारिज कर दिया और कहा कि पति ने पत्नी के खिलाफ यह मामला इसलिए दर्ज कराया था क्योंकि पत्नी उसके खिलाफ पहले ही कई मामले दर्ज करा चुकी है।