मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में मांगा जवाब

LiveLaw News Network

23 Aug 2018 2:36 PM GMT

  • मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में मांगा जवाब

     सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश और राजस्थान की मतदाताओं की सूची में बड़े पैमाने पर फर्जी मतदाताओं को हटाने की मांग वाली वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ और सचिन पायलट द्वारा दायर  याचिकाओं पर चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

     अदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए उन्होंने आने वाले मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनावों में EVM के साथ VVPAT से सत्यापन के लिए प्रार्थना भी की है।

     जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और विवेक तन्का की दलीलें  सुनने के बाद चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। 31 अगस्त को सुनवाई के लिए मामले को सूचीबद्ध किया गया है।

     याचिकाकर्ताओं ने अदालत को  बताया कि मध्यप्रदेश में 60 लाख से अधिक फर्जी मतदाता हैं जबकि राजस्थान में एक करोड़ फर्जी मतदाता हैं। इस तथ्य के बावजूद कि इस तरह के  उदाहरण चुनाव आयोग की जानकारी में लाए गए थे, मतदाताओं की सूची को सुधारने के लिए अब तक कुछ भी नहीं किया गया है।

    याचिकाकर्ता चुनाव आयोग को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र सेगमेंट में कम से कम 10%  मतदान केंद्रों में वीवीपीएटी सत्यापन आयोजित करना चाहते हैं।

     याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के वरिष्ठ नेताओं के साथ चुनाव आयोग को विस्तृत प्रतिनिधित्व दिया है कि मध्य प्रदेश / राजस्थान की मतदाता सूची में 2018 के  विधानसभा चुनावों के लिए 60 लाख / एक करोड़ फर्जी, एकाधिक, अवैध, झूठे मत बनाए हैं और इसके लिए चुनाव आयोग से  अनुरोध किया।

    यह भी इंगित किया गया कि चुनाव आयोग ने हाल ही में जनवरी 2018 में मध्य प्रदेश राज्य के लिए प्रकाशित मतदाता सूची से 24 लाख से अधिक मतदाताओं को हटा दिया था।  चुनाव आयोग ने 2,37,234 मामले में स्वीकार किया था कि उनमें फोटो प्रविष्टियां संदिग्ध / अस्पष्ट / खाली तस्वीरें पाई गईं। हाल के चुनावों के अनुभव से साफ है कि इन शिकायतों को बिना किसी जांच व कार्रवाई के छोड़ दिया गया।

    याचिकाकर्ताओं ने कहा कि चुनाव आयोग ने कहा है कि VVPAT यूनिट के साथ आवश्यक 16.15 लाख ईवीएम में से केवल 5.88 लाख यूनिट अब तक वितरित की गई हैं और VVPAT मशीनों के निर्माण और खरीद में देरी हुई है। उन्होंने कहा कि VVPAT  मशीनों की औचक जांच आवश्यक है जैसे कि उम्मीदवार गिनती प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं तो तुरंत पेपर ट्रेल्स की गिनती होनी चाहिए।

    इसके अलावा VVPAT मशीनों के खराब होने की हाल की घटनाएं इनकी  विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं। इसलिए इनका औचक निरीक्षण होना चाहिए।

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