अगर कोई व्यक्ति जो विषय नहीं पढ़ा है उसे वह विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता : राजस्थान हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

23 Aug 2018 12:47 PM GMT

  • अगर कोई व्यक्ति जो विषय नहीं पढ़ा है उसे वह विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता : राजस्थान हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

    स्नातक में अतिरिक्त विषय के रूप में अंग्रेजी पढ़नेवाले उम्मीदवार अंग्रेजी अध्यापक के पद के लिए योग्य नहीं’

    क्या ऐसे व्यक्ति को वह विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है जो उसने खुद स्नातक के तीन वर्ष के दौरान मुख्य विषय के रूप में नहीं बल्कि अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ा है?

     राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा करना शिक्षा का जो भी स्तर बचा है उसको भी नीचे गिराने जैसा होगा।

     “… एक शिक्षक जिसने खुद ही जिस विषय को नहीं पढ़ा है वह उसको पढ़ाएगा; अगर उसकी नियुक्ति होती है तो शिक्षा की गुणवत्ता की परिकल्पना को नुकसान पहुंचाएगा,” न्यायमूर्ति वीरेंदर सिंह सिराधना ने इस बारे में दायर याचिकाओं की सुनवाई के क्रम में यह बात कही। न्यायमूर्ति सिंह ने सरकार द्वारा गत सितंबर में जारी विज्ञापन के खिलाफ इस याचिका को स्वीकार कर लिया। विज्ञापन में ग्रेड- III (स्तर-II) के शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे।

     सरकार ने इससे पहले 6 जुलाई 2016 को जारी अपनी अधिसूचना को संशोधित किया था जिसे राजस्थान में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों की 2016 में सीधी भर्ती के लिए जारी किया गया था। इसमें संबंधित भाषा को अतरिक्त विषय के रूप में पढ़ने वालों को भी इस पद के लिए योग्य माना गया था।

     याचिकाकर्ताओं ने इसी प्रावधान के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें किसी भाषा को अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़नेवालों को भी इस पद के योग्य माना गया था।

    हाईकोर्ट ने कहा, “ ‘स्नातक’ शब्द की व्याख्या का अर्थ अनिवार्य रूप से ‘संबंधित विषय में स्नातक’ होना चाहिए और इस विषय की पढ़ाई उसने तीन साल तक की हो और यूजीसी के विनियमनों के तहत उसने तीन साल की पढ़ाई पूरी की हो।  प्रतिवादी नंबर 5 विज्ञान विषयों में स्नातक है और उसका विषय रसायनशास्त्र, वनस्पतिशास्त्र, बायोतकनीक (बायो टेक्नॉलोजी) रहा है और अतिरिक्त विषय के रूप में अंग्रेजी उसने एक साल पढ़ा होगा; यह व्यक्ति कक्षा 6 से आठ तक के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाने के लिए योग्य नहीं हो सकता।”

     “शिक्षा के स्तर को कम करना और उम्मीदवारों को ऐसे विषय पढ़ाने के लिए नियुक्ति के योग्य मानना जिसको उन्होंने खुद ‘वैकल्पिक विषय के रूप में तीन सालों तक नहीं पढ़ा है,और अगर संबंधित विषय में उसके एक वर्ष की पढ़ाई को अच्छा और पर्याप्त योग्यता मानने से शिक्षा का जो भी स्तर बचा है उसको नष्ट करना होगा।।।”

     कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि वह ऐसे उम्मीदवारों को इस सूची से बाहर कर दे जिन्होंने संबंधित विषय को सिर्फ अतिरिक्त विषय के रूप में पढ़ा है। ऐसे उम्मीदवार जिनके पास स्नातक की डिग्री है और एक वैकल्पिक विषय के रूप में अंग्रेजी  के साथ उसने वैकल्पिक विषयों में तीन साल की डिग्री ली है वही ग्रेड-III स्तर-II के शिक्षकों  की भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है।

     कोर्ट ने इस मामले पर गौर करने के दौरान प्रोग्राम इन इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट (पीआईएसए) का जिक्र किया जिसने 74 देशों के 15 साल के छात्रों का एक सर्वेक्षण किया था। इसके परिणाम में कहा गया है कि शंघाई शीर्ष पर है जबकि तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश को क्रमशः 73वां और 74वां स्थान मिला जो कि किर्गिजस्तान से ही ऊपर है जबकि किर्गिजस्तान भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से महाराष्ट्र राज्य से भी छोटा है।


     
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