शेल्टर होम के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, निगरानी के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर बने कमेटी

LiveLaw News Network

22 Aug 2018 8:21 AM GMT

  • शेल्टर होम के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, निगरानी के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर बने कमेटी

    देशभर के शेल्टर होम के हालात पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अगर JJ एक्ट सही तरीके से लागू होता तो देवरिया और मुजफ्फरपुर जैसी घटनाओं को रोका जा सकता था।

    जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को कहा है कि देशभर के शेल्टर होम की निगरानी के लिए केंद्रीय व राज्य स्तर पर कमेटी बनाई जानी चाहिएं।

    वहीं एमिक्स क्यूरी अपर्णा भट्ट ने पीठ का ध्यान शेल्टर होम से संबंधित दो रिपोर्ट पर दिलाया जिसमें 2016 की महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट में बताया गया कि शेल्टर होम में 2.61 लाख बच्चे हैं जबकि चाइल्ड केयर हेल्पलाइन के मुताबिक इनकी संख्या 4.70 लाख है।

    इस पर पीठ ने सवाल किया, “ दो लाख बच्चे कहां गए ? ये गंभीर बात है। इसमें कितने गुमशुदा हैं। बच्चों की भी आत्मा और दिल होते हैं। हमें इसका हल निकालना होगा।”

    वहीं केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकारों से बात कर ये पता लगाया जाएगा कि आखिर दोनों रिपोर्ट में इतना अंतर क्यों है। केंद्र सरकार को दस दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा गया है।

    गौरतलब है कि 8 अगस्त को मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप के मामले में केंद्र और बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में क्या हो रहा है ? लेफ्ट, राइट और सेंटर सब तरफ लड़कियां बलात्कार का शिकार हो रही हैं।हर 6 घंटे में लडकी का रेप हो रहा है।रोजाना चार लडकियों से रेप की घटनाएं हो रही हैं। NCRB के मुताबिक  2016  में 38947 रेप हुए और यह बहुत चिंता का विषय है ।

    जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच ने बिहार सरकार द्वारा शेल्टर होम का संचालन करने वाले NGO को वित्तीय सहायता देने पर फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले कई सालों से बिहार सरकार NGO को फंड देती रही लेकिन उसे ये नहीं पता कि ये फंड वो क्यों दे रही है ? फंड जारी करने से पहले सरकार को NGO की जांच पडताल करनी चाहिए, शेल्टर होम का निरीक्षण करना चाहिए। पीठ ने कहा कि बिना सोशल ऑडिट किए अगर ये चल रहा था तो फिर इस अपराध को राज्य द्वारा प्रायोजित समझा जाना चाहिए।  सुप्रीम कोर्ट ने प्रिंट, इलेक्ट्रानिक व सोशल मीडिया को निर्देश दिए थे। कि  देशभर में यौन उत्पीडन के शिकार बच्चों की तस्वीरें, वीडियो किसी भी तरह नहीं दिखाई जाएंगे।

    वहीं पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश ASG पिंकी आनंद से पूछा था कि केंद्र बताए कि वो ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या योजना बना रहा है ? पहले बिहार तो कल यूपी की खबर आई न्यूज चैनल दिखा रहा था। आपके पास भविष्य के लिए क्या योजना है ?  इसे कैसे मॉनीटर किया जाए ?

    वहीं बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि टाटा इंस्टीटयूट ऑफ सोशल साइंसेज ( TISS) की रिपोर्ट आने के बाद 9 FIR दर्ज की गईं और इनमें से एक FIR की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है।

    वहीं अमिक्स क्यूरी अपर्णा भट्ट और TISS की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को बताया कि बिहार के 110 शेल्टर होम की जांच की गई जिनमें से 15 की शिकायत की गई। मुजफ्फरपुर के शेल्टर होम से 41 लड़कियां मुक्त कराई गई हैं। अभी तक किसी को मुआवजा नहीं मिला है।

    गौरतलब है कि दो अगस्त को मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में 30 से ज्यादा बच्चियों से बलात्कार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान ले लिया था। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने  एक सामाजिक कार्यकर्ता की चिट्ठी पर  स्वत : संज्ञान लेते हुए ने केंद्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने वकील अपर्णा भट्ट को केस में एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया है। पीठ ने मीडिया में पीड़ितों की तस्वीरें दिखाए जाने पर भी सख्त ऐतराज जताया और आदेश जारी किया था कि मीडिया  ब्लर करके या किसी भी तरह पीड़ितों की तस्वीरें नहीं दिखाएगा।

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