बच्चों के बयान से हुआ पिता पर माँ को जलाकर मारने के आरोप की पुष्टि; दिल्ली हाईकोर्ट ने मुआवजे के लिए मामले को डीएसएलएसए को भेजा [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

21 Aug 2018 2:14 PM GMT

  • बच्चों के बयान से हुआ पिता पर माँ को जलाकर मारने के आरोप की पुष्टि; दिल्ली हाईकोर्ट ने मुआवजे के लिए मामले को डीएसएलएसए को भेजा [निर्णय पढ़ें]

    दिल्ली हाईकोर्ट ने उस आदमी की आजीवन कैद की सजा को बरकरार रखा है जिस पर अपनी पत्नी को जलाकर मारने का आरोप है। इस आदमी के तीनों बच्चों ने इस मामले में अपने पिता के खिलाफ बयान दिया।

    न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और विनोद गोएल की पीठ ने अभियुक्त वीरेंदर सिंह की अपील को खारिज कर दिया। वीरेंदर सिंह ने 21 जनवरी 2017 को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें उसे अपनी पत्नी को जलाकर मारने का दोषी पाया गया था।

    निचली अदालत ने उसको आजीवन कैद की सजा सुनाई गई और 25 हजार रुपए का जुर्माना भी चुकाने को कहा है।

    पीठ ने इस मामले को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) को भेज दिया ताकि बच्चों को मुआवजे की राशि का वह निर्णय कर सके।

    वीरेंदर सिंह ने अपनी पत्नी दर्शनी की 17 अप्रैल 2012 को उत्तरी दिल्ली के अपने घर में उसके शरीर पर मिट्टी का तेल छिड़ककर हत्या कर दी थी।

    इस व्यक्ति के तीनों बच्चे – दो बेटे और एक बेटी, इस हत्या के चश्मदीद थे। उनका सबसे बड़ा बेटा जो कि उस समय 16 साल का था, ने कोर्ट से कहा कि उसका पूरा परिवार घटना के दिन अपने एक कमरे वाले घर में मौजूद था।  उसने कहा कि उसका बाप आदतन शराबी है और उसकी माँ से वह शराब के लिए पैसे की मांग कर रहा था।

    उसकी माँ ने पैसे देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह बच्चों के स्कूल की फीस देने के लिए यह पैसा रखा है और उसके पास कोई अतिरिक्त पैसा नहीं है। इस पर अपीलकर्ता अपना आपा खो बैठा और उसकी माँ को लात-घूसों से मारने लगा और पैसे नहीं देने पर उसको जान से मार देने की धमकी भी दी।

    जब तीनों बच्चों ने इसमें दखल देने की कोशिश की तो याचिकाकर्ता ने उनको भी मारा और इसके बाद मिट्टीतेल का बोतल उसकी माँ पर उड़ेल दिया और उसको आग लगा दी।

    लड़के ने कहा कि उसने अपनी माँ को कम्बल से ढककर उसको बचाने की कोशिश की। पुलिस आई और उसकी माँ को एलएनजेपी अस्पताल ले गई जहां वह उसी दिन शाम को 7 बजे मर गई।

    “...पीडब्ल्यू-2 (सबसे बड़े बेटे) ने जो बयान दिया है उसकी पीडब्ल्यू 4 और 5 (अन्य दो बच्चों) के बयान से भी पुष्टि होती है। जब यह घटना हुई, ये सब उस कमरे में मौजूद थे। मृतक माँ शायद उस दिन बीमार थी जिसकी वजह से बच्चे स्कूल नहीं गए थे,” कोर्ट ने गौर करते हुए कहा।

    कोर्ट ने दो पड़ोसियों के बयानों का भी उल्लेख किया जिन्होंने कहा था कि बच्चों ने उन्हें बताया था कि उनके पिता ने उनकी माँ के शरीर पर मिट्टी तेल छिड़ककर उसको आग लगा दी है। कोर्ट ने बचाव पक्ष की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि पड़ोसियों के बयानों पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि वे उसकी माँ को अस्पताल नहीं ले गए।

     अपीलकर्ता को दंडित करने और उस की सजा को सही ठहराते हुए कोर्ट ने कहा, “...यद्यपि आरोपी को सजा के साथ साथ 25 हजार रुपए का जुर्माना चुकाने को भी कहा गया है पर बच्चों को मुआवजा दिए जाने का कोई आदेश नहीं दिया गया है। इसलिए कोर्ट इस मामले को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को भेजता है जो इन बच्चों को उचित मुआवजे की राशि के भुगतान के बारे में निर्णय लेगा। उनको यह मुआवजा दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिया जाएगा। इसके लिए इस फैसले की एक प्रति डीएसएलएसए के सचिव को भेजा जाएगा।”


     
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