उत्तराखंड में नशीली दवाओं का कहर : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हुए नारकोटिक्स स्क्वाड और एंटी-ड्रग क्लब को शैक्षणिक संस्थानों में जाने को कहा [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

20 Aug 2018 12:12 PM GMT

  • उत्तराखंड में नशीली दवाओं का कहर : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को स्वीकार करते हुए नारकोटिक्स स्क्वाड और एंटी-ड्रग क्लब को शैक्षणिक संस्थानों में जाने को कहा [निर्णय पढ़ें]

    उत्तराखंड में नशीली दवाओं के प्रसार से चिंतित उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस बारे में अपनाई गई बातों पर अमल करते हुए द्रव/थिनर और वल्केनाइज्ड घोलों/सुलोचनों को नशीले पदार्थों की श्रेणी में रखने की घोषणा की है और राज्य में इनकी बिक्री पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों में मादक द्रव्य विरोधी दल गठित करने को कहा है ताकि नशीली दवाओं की तस्करी पर नजर रखी जा सके। कोर्ट ने सभी शिक्षा संस्थानों में नशीली दवाओं के खिलाफ कल्ब बनाने को कभी कहा है।

    न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने कहा कि नशीली दवाओं की समस्याओं से कड़ाई से निपटना जरूरी है और सभी सरकारी एजेंसियों को क़ानून के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए।

     हाईकोर्ट इसके कहर से इतना ज्यादा चिंतित है कि उसने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह नशीली दवाओं के कुप्रभावों,इसके गैर क़ानूनी कारोबार, खुद उस व्यक्ति को और समाज को देश को इसकी कैसी सामाजिक-आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है इस बारे में बताने के लिए 10+1 और 10+2 के छात्रों के पाठ्यक्रमों में अध्याय जोड़ने को कहा है।

     कोर्ट ने अपने मौखिक आदेश में इस मामले पर दिल्ल्ली हाईकोर्ट के आशा बनाम एनसीटी दिल्ली अन्य मामले का व्यापक उल्लेख किया।

     उत्तराखंड हाईकोर्ट एनडीपीएस अधिनियम की धरा 71 को कड़ाई से लागू किये जाने के बारे में एक आवेदन पर गौर करते हुए यह बात कही।




    • उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाता है कि वह राज्य के हर जिले में एक नारकोटिक स्क्वाड का गठन करें जो इंस्पेक्टर रैंक के एक अधिकारी की निगरानी में काम करेगा और यह जिला के पुलिस अधीक्षक के तहत होगा। हर स्क्वाड में दो इंस्पेक्टर होंगे और आठ अन्य लोग शामिल होंगे जिसमें हेड कांस्टेबल और सिपाही शामिल होंगे। इसका गठन कोर्ट के आदेश दिए जाने के दिन से चार सप्ताह के भीतर होना चाहिए।

    • नारकोटिक स्क्वाड गठन के बाद निम्न काम करेगा:-



    1. उन क्षेत्रों की पहचान जहां से मादक द्रव्यों के कारोबार की खबर है और जहां नशेड़ी लोग सक्रिय हैं।

    2. नारकोटिक स्क्वाड और स्थानीय पुलिस नशीली दवाओं की आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करेगी और उनके खिलाफ क़ानून के तहत कार्रवाई करेगी।

    3. नारकोटिक स्क्वाड इस कारोबार में शामिल लोगों के खिलाफ एनडीपीएस अधिनियम की धारा 29 के तहत कार्रवाई करेगी।

    4. राज्य का हर पुलिस थाना एनडीपीएस अधिनियम के तहत जिन लोगों को निरुद्ध किया जा चुका है या जिनके खिलाफ मामला लंबित है उनका रिकॉर्ड तैयार करेगी और उन पर निगरानी रखेगी और रोकथाम की कार्रवाई करेगी।

    5. उच्च शिक्षा निदेशक, स्कूल शिक्षा निदेशक को ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करनी होगी जहां नशीली दवाओं का प्रभाव है या हो सकता है। स्थानीय पुलिस इस बारे में कोई छूट नहीं देते हुए निवारक कार्रवाई करेगी। इस तरह के तत्वों की पहचान के लिए हर संभव प्रयास किये जाएं और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए।

    6. नारकोटिक स्क्वाड ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा जो बिना किसी डॉक्टर के सलाह के औषधियों की बिक्री करते हैं और बाद में जिनका नशीली दवाओं के रूप में प्रयोग होता है।

    7. इस मामले की जांच और खुफिया जानकारी हासिल करने में लोगों की क्षमता और कौशल वृद्धि के लिए नियमित प्रयास किये जाएंगे।

    8. पब्लिक स्कूलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशक और स्कूल शिक्षा निदेशक ऐसे स्कूलों का दौरा करेंगे। स्कूल का प्रबंधन उच्च अधिकारियों की स्कूल तक पहुँच सुनिश्चित करेगा।



    • सभी तरह के द्रव/थिनर/वल्केनाइज्ड घोलों/सुलोचनों को नशीला पदार्थ घोषित किया जाता है और राज्य भर में इनकी बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है।

    • राज्य सरकार को निर्देश है कि वह समाज के अंदर लोगों में इसके बारे में जागरूकता पैदा करे। पुलिस को नशीले पदार्थों की बिक्री करने वालों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।



    • स्कूल प्रबंधन, प्रिंसिपल और शिक्षकको मादक द्रव्यों के तस्करों की पहचान करने और उनके बारे में पुलिस को रिपोर्ट करने के लिए तैयार किया जाएगा।

    • राज्य में सभी तरह के स्कूल पने यहाँ नशीले पदार्थों के खिलाफ क्लब स्थापित करेंगे।

    • राज्य सरकार जेलकर्मियों को इस बात के लिए तैयार करेगी कि वे जेलों में मादक द्रव्यों की पहचान कर सकें।

    • मादक द्रव्यों की पहचान और उनका पता लगाने के लिए राज्य के सभी जेलों में विशेष रूप से प्रशिक्षित सूंघने वाले कुत्ते (स्निफर डॉग) रखे जाएंगे ताकि वे आने जाने वालों में मादक द्रव्यों के विक्रेता की पहचान कर सकें। खुला जेल सहित जेल में नशा करने वाले सभी लोगों का पंजीकरण किया जाए और उन्हें नशामुक्ति केंद्रों पर भेजा जाए।

    • जेल में आनेवाले सभी कैदियों की जांच होगी और अगर किसी में नशे की लत पाई जाती है तो उसे नशामुक्ति केंद्र में भेजा जाएगा।

    • राज्य सरकार सरकारी मशीनरियों का प्रयोग करते हुए नशामुक्ति के बारे में लोगों में जागरूकता अभियान चलाएगी और लोगों को इसके कुप्रभाव के बारे में बताएगी।

    • स्कूल, पुलिस और अस्पताल अथॉरिटीज के बीच इस मामले को लेकर तालमेल होना चाहिए।

    • सभी प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाता है कि वे एनडीपीएस अधिनियम की धारा 71 को सख्ती से लागू करेंगे।

    • उत्तराखंड सरकार के स्वास्थ्य सचिव इन निर्देशों को लागू कराने के लिए केंद्रीय एजेंसी की भूमिका में होंगे।


     

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