Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

एमबीबीएस/बीडीएस/आयुर्वेदिक कोर्स में राज्य कोटा के तहत प्रवेश के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता और निवासी होने की अर्हता निर्धारित करने की अनुमति है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
18 Aug 2018 4:39 AM GMT
एमबीबीएस/बीडीएस/आयुर्वेदिक कोर्स में राज्य कोटा के तहत प्रवेश के लिए आवश्यक शैक्षिक योग्यता और निवासी होने की अर्हता निर्धारित करने की अनुमति है : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
x

 सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस/बीडीएस के प्रवेश में शैक्षिक/रिहाइश संबंधी अर्हता को सही बताते हुए कहा कि किसी राज्य विशेष के लिए आवश्यक शैक्षिक/रिहाइश संबंधी अर्हता का निर्धारण नियमसम्मत है।

एमबीबीएस/बीडीएस में प्रवेश के इच्छुक उम्मीदवारों ने राजदीप घोष बनाम असम राज्य मामले में मेडिकल कॉलेज एंड डेंटल कॉलेज, असम में प्रवेश के नियम 3(1) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

उक्त नियम के तहत प्रावधान है कि राज्य कोटे के तहत प्रवेश के लिए उम्मीदवार कक्षा सात से 12 तक असम राज्य में ही शिक्षा प्राप्त किया हो। उन लोगों के लिए जिनके माँ-बाप असम सरकार के कर्मचारी हैं और बाहर पदस्थापित हैं, ऐसे उम्मीदवारों को इस अर्हता से मुक्त किया गया है।

विवाद क्या है

याचिकाकर्ताओं का कहना था कि इस बारे में कोई अध्ययन नहीं किया गया है कि ऐसे उम्मीदवार जो असम के बाहर से सातवीं से 12वीं तक पढ़ाई की है वे एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद असम में अपनी सेवाएं नहीं दे सकते हैं। इन लोगों ने यह भी कहा कि राज्य इस बात का बांड भी उम्मीदवार से प्राप्त करता है कि डिग्री प्राप्त करने के बाद वे पांच सालों तक राज्य में अपनी सेवाएं देंगे। अगर वे इस करार को तोड़ेंगे तो उन्हें 30 लाख रुपए चुकाने होंगे।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर ने इससे संबंधित अन्य निर्णयों पर गौर करते हुए कहा, “राज्य कोटे के तहत प्रवेश के लिए शैक्षिक और रिहाइश संबंधी अर्हता निर्धारित करना कानूनन जायज है...उद्देश्य है कि उम्मीदवार को संबंधित राज्य में अवश्य ही अपनी सेवाएं देनी चाहिए।।।सिर्फ स्नातकोत्तर और सुपर स्पेशलिटी कोर्स को इससे छूट दी गई है।”

पीठ ने असम के अलावा अन्य राज्यों के कर्मचारियों को भी इस नियम में छूट देने की अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर कोई अरुणाचल प्रदेश का व्यक्ति असम में काम कर रहा है तो इस तरह के लोग एक अलग वर्ग में आते हैं। जब बच्चे बाहर शिक्षा ले रहे हैं और उनके माँ-बाप अरुणाचल में सरकारी कर्मचारी के रूप में काम कर रहे हैं या कहीं अन्यत्र तो ऐसे बच्चों के असम वापस आने की संभावना कम है।”

कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी राज्य/केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह ही इस नियम के तहत सुविधाएं मिलनी चाहिए।


 
Next Story