गोवारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से मना नहीं किया जा सकता, उन्हें 100 वर्ष पहले ही आदिवासी का दर्जा दिया गया था : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

17 Aug 2018 3:39 PM GMT

  • गोवारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से मना नहीं किया जा सकता, उन्हें 100 वर्ष पहले ही आदिवासी का दर्जा दिया गया था : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    एक महत्त्वपूर्ण फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि गोवारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने से मना नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इस समुदाय को स्वतंत्र स्टेटस प्रदान किया।

    न्यायमूर्ति आरके देशपांडे और न्यायमूर्ति एडी उपाध्ये की नागपुर पीठ ने गोवारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का फैसला सुनाया।

    पृष्ठभूमि

    राज्य सरकार की सूची के अनुसार, गोवारी समुदाय इस समय विशेष पिछड़ी जातियों की श्रेणी में आता है जबकि केंद्र सरकार के वर्गीकरण के अनुसार यह अन्य पिछड़ी जातियों की श्रेणी में आता है। महाराष्ट्र सरकार के 13 जून और 15 जून 1995 के दो प्रस्ताव के अनुसार यह समुदाय राज्य में एसबीसी श्रेणी में आता है जबकि भारत सरकार के 16 जून 2011 की अधिसूचना के अनुसार उसे अन्य पिछड़ी जातियों की श्रेणी में रखा  गया है।

    गोवारी समुदाय काफी लम्बे समय से अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग करता रहा है। वर्ष 1994 में इस मुद्दे को लेकर नागपुर में विधानसभा के सामने विरोध प्रदर्शन हो रहा था जिसमें भगदड़ होने के कारण 114 लोगों की जान चली गई थी।

    नारायण फडनिस और राम परसोदकर ने याचिकाकर्ताओं की इस मामले में पैरवी की। इन लोगों ने कहा कि गोवारियों के बदले में गोंड गोवारी नामक कोई जनजाति नहीं है और गोवारियों को गोंड गोवारियों के नाम से प्रमाणपत्र दिया जाता है।

    फैसला

    कोर्ट ने 1891 के बाद हुए सभी जनगणना रिपोर्ट की जांच की और गोवारी समुदाय के इतिहास को देखा और कहा,

    (1) गोंड और गोवारी दो अलग-अलग, विशिष्ट और स्वतंत्र समुदाय हैं जो सीपी और बरार के मराठा देश में हैं और इसके बाद से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में 1891 से रह रहे हैं और इस बारे में कोई विवाद नहीं है।

    (2) गोंड को जंगल और पहाड़ की जनजाति बताया गया है जबकि गोवारी को पशुपालकों की जाति बताया गया है। इस तरह गोंड और गोवारी दोनों ही अलग अलग हैं।

    (3) यद्यपि 1891 और 1901 में मराठा देश में बताया गया जबकि बाद की जनगणना में उसकी जनसंख्या भी दी गई है। रसेल और हीरालाल बताते हैं कि 1911 में गोंड गोवारी गोवारी में मिल गए हैं और इसे इनकी उत्पत्ति मान ली गई है।

    कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य बनाम माना आदिम जमात मंडल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गोवारी समुदाय को स्वतंत्र दर्जा दे दिया और उनकी याचिका स्वीकार कर ली।


     
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