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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, देशभर के शेल्टर होम में बच्चों से उत्पीड़न के 1575 मामलों में क्या हुआ ?

LiveLaw News Network
15 Aug 2018 6:27 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा, देशभर के शेल्टर होम में बच्चों से उत्पीड़न के 1575 मामलों में क्या हुआ ?
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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से पूछा कि देश भर में सरकार द्वारा वित्त पोषित उन शेल्टर होम खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है जहां बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के 1,575 मामले दर्ज किए गए थे। ये खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा किए गए सोशल ऑडिट में  हुआ।

 जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने बिहार के शेल्टर होम पर स्वत: संज्ञान पर सुनवाई की। इस दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद पर एक साल पहले रिपोर्ट दाखिल होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए सवाल उठाया गया। एएसजी ने कहा कि रिपोर्ट संबंधित राज्यों को भेजी गई थी और कुछ राज्यों ने जवाब दिया था लेकिन अभी भी कुछ और राज्यों से जवाब का इंतजार है। उन्होंने कहा कि कार्रवाई करने के लिए राज्यों की ज़िम्मेदारी थी और केंद्र केवल उन्हें सलाह दे सकता है।

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि TISS रिपोर्ट के अनुसार 1,575 बच्चों को यौन शोषण के अधीन किया गया था, उनमें से 1,276 लड़कियां हैं। रिपोर्ट में 189 बच्चे भी हैं जो बाल अश्लीलता के पीड़ित हैं।

"हम चिंतित हैं कि आश्रय घरों में रहने वाले बच्चों का उत्पीड़न किया जा रहा है। हमें बताएं कि आपने ऐसे घरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है ?”

न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि 1,575 बच्चों को यौन शोषण के अधीन किया गया है। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने एएसजी से कहा, "हम रोज़ाना आने वाली यौन शोषण के बारे में समाचार पत्रों की रिपोर्ट पर अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते।

 एएसजी ने पीठ को बताया कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) इस साल अक्टूबर तक सभी राज्यों में लेखा परीक्षा की प्रक्रिया पूरी करेगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई का फैसला किया जाएगा। पीठ ने केंद्र से बाल संरक्षण नीति तैयार करने पर विचार करने के लिए कहा। इससे पहले बिहार सरकार के लिए उपस्थित वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने बेंच को सूचित किया कि एम्स दिल्ली समेत तीन संस्थान  मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में कथित रूप से उत्पीड़न  की शिकार लड़कियों के मनोवैज्ञानिक पहलू की जांच कर रहे हैं। इन  बच्चों को परामर्श दिया जाएगा ताकि वे आघात से बाहर आएं। पीठ ने इस मामले को दो सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

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