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हापुड़ मॉब लिंचिंग : टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के बाद पीड़ित गवाह पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, 13 अगस्त को सुनवाई

LiveLaw News Network
7 Aug 2018 1:19 PM GMT
हापुड़ मॉब लिंचिंग : टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के बाद पीड़ित गवाह पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, 13 अगस्त को सुनवाई
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उत्तर प्रदेश के हापुड़ में गोहत्या के आरोप में मॉब लिंचिंग के शिकार एक घायल गवाह ने सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर अदालत की निगरानी में विशेष जांच टीम (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है। ये अर्जी एक टीवी चैनल में दिखाए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद दाखिल की गई और सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 13 अगस्त को करने को तैयार हो गया है।

वकील वृंदा ग्रोवर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के समक्ष इस याचिका को मेंशन किया और मामले में चार आरोपी को जमानत मिलने पर जल्द सुनवाई की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने मॉब लिंचिंग  मामले में दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है और  एफआईआर में पूरी घटना को रोड रेज के रूप में वर्णित किया है। 18 जून को  याचिकाकर्ता समयद्दीन (65) 45 वर्षीय मांस व्यापारी कासिम कुरैशी के साथ थे, जब एक "भीड़" ने गोहत्या के आरोप में दोनों पर हमला कर दिया।

यह घटना एक दिन बाद हुई जब शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था कि वो मॉब लिंचिगं के दोषी पाए गए लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून तैयार करे। इस हमले की वीडियो रिकार्डिंग भी की गई  जो दिखाती है कि कुरैशी और याचिकाकर्ता दोनों को फेंक दिया गया था। हमलावरों ने याचिकाकर्ता की दाढ़ी को भी खींच लिया, उससे दुर्व्यवहार किया। कुरैशी की तुरंत मौत हो गई थी।

मुख्य अभियुक्त के रूप में पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तारी किया जिनमें एक स्थानीय युधिष्ठिर सिंह सिसोदिया को नामजद किया गया। बाद में सिसोदिया को जमानत पर छोड़ दिया गया। अपनी जमानत याचिका में उसने दावा किया कि वह उस जगह पर मौजूद नहीं था।  हालांकि, एक अंग्रेजी समाचार चैनल द्वारा  एक स्टिंग ने उसे अपराध के बारे में बताते हुए दिखाया। समयद्दीन ने अपनी याचिका में स्टिंग ऑपरेशन को संदर्भित किया है और ट्रायल को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने का आग्रह किया है। वह यह भी चाहते हैं कि शीर्ष अदालत आरोपी की जमानत रद्द करे। उनके अनुसार पुलिस ने अभी तक उनका बयान दर्ज नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट मजिस्ट्रेट के सामने इस घटना पर उनका बयान दर्ज कराए और घटना की स्वतंत्र जांच कराए।

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