सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त तीन जजों ने शपथ ग्रहण किया

LiveLaw News Network

7 Aug 2018 11:00 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट के नवनियुक्त तीन जजों ने शपथ ग्रहण किया

    सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त तीन जज न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति केएम जोसफ को आज सुबह 10.30 बजे सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने शपथ दिलाया। इस तरह अब सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या 25 हो गई है जबकि यहाँ जजों की कुल स्वीकृत संख्या 31 है।

     न्यायमूर्ति बनर्जी 1985 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुई थीं और कलकत्ता हाईकोर्ट में उन्होंने क़ानून के प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 2002 में कलकत्ता हाईकोर्ट का स्थाई जज नियुक्त किया गया और वहाँ से अगस्त 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ट्रान्सफर किया गया। इसके बाद उनको मद्रास हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और उन्होंने अप्रैल 2017 में वहाँ कार्यभार संभाला।

     न्यायमूर्ति सरन 1980 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल में पंजीकृत हुए और इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू किया। फरवरी 2002 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्थाई नियुक्ति मिली। इसके बाद उन्हें 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट ट्रांसफर किया गया। फरवरी 2016 में उन्हें उड़ीसा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

     न्यायमूर्ति जोसफ 1982 में अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए और अक्टूबर 2004 में उन्हें केरल हाईकोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया जहां उन्होंने जुलाई 2014 में मुख्य न्यायाधीश का कार्यभार संभाला।

     मुख्य न्यायाधीश के रूप में उन्होंने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले को गैर क़ानूनी घोषित कर दिया जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट तक की उनकी यात्रा लम्बी होने लगी। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने मई 2016 में ही उनको सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नति देने की अनुशंसा की पर केंद्र सरकार ने उनको पदोन्नति नहीं दी।

     कॉलेजियम ने इसके बाद मई 2016 में उनको उत्तराखंड हाईकोर्ट से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाईकोर्ट में ट्रान्सफर करने का अनुरोध किया। पर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।

    इसके बाद गत वर्ष फरवरी में न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने न्यायमूर्ति जोसफ को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति नहीं किये जाने पर सवाल उठाया। जनवरी 2018 में अंततः कॉलेजियम ने उनको सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति देने की अनुशंसा की।

     कॉलेजियम के पाँचों जजों मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, एमबी लोकुर और कुरियन जोसफ ने अपनी अनुशंसा में जोसफ को अन्य जजों की तुलना में बहुत ही योग्य माना और सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियुक्ति की अनुशंसा की।

     प्रस्ताव में कहा गया कि उनके नाम का सुझाव करते हुए सभी मुख्य न्यायाधीशों और वरिष्ठ जजों की वरिष्ठता, उनकी मेरिट और उनकी ईमानदारी को ध्यान में रखा गया है।

     इसके बावजूद, केंद्र ने इस सुझाव को रद्द कर दिया। कॉलेजियम को भेजे अपने पत्र में केंद्र ने लिखा था कि वरिष्ठता क्रम में जोसफ देश के सभी जजों की वरिष्ठता सूची में 42वें स्थान पर आते हैं और इस समय देश के विभिन्न हाईकोर्टों के ग्यारह मुख्य न्यायाधीश उनसे वरिष्ठ हैं। इसके अलावा, उसने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का पिछले कुछ समय से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

     कॉलेजियम ने इसके बाद भी उनके नाम की अनुशंसा को तीन बार टाल दिया पर उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया।

     पर अब जब उनको पदोन्नति दी गई उनकी वरिष्ठता को लेकर केंद्र सरकार ने गड़बड़ी की है और उनके साथ ही नियुक्त हुए दो अन्य जजों के साथ इस सूची में उनको सबसे अंत में जगह दी गई है जिसका अर्थ हुआ कि इन दोनों ही जजों से कनिष्ठ होंगे। इस मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट के कुछ वरिष्ठ जज मुख्य न्यायाधीश से मिले।

     इन वरिष्ठ जजों का कहना था कि न्यायमूर्ति जोसफ के नाम की अनुशंसा सुप्रीम कोर्ट ने पहले की और इसलिए उनका नाम इस सूची में सबसे ऊपर होना चाहिए। उनकी वरिष्ठता को बहाल करने के लिए उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वे न्यायमूर्ति जोसफ को सबसे पहले शपथ दिलाएं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने इस बारे में अटॉर्नी जनरल से इस बारे में विचार विमर्श करने की बात कही।

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