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पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
![पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें] पत्नी को ठीक से खाना बनाने या घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं है : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/03/bombay-hc.png)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दाखिल एक आपराधिक अपील को खारिज करते हुए अपने फैसले में कहा कि पत्नी को ठीक से खाना बनाने को कहना या फिर घर का काम ठीक से करने को कहना उसके साथ अत्याचार नहीं है। यह अपील सांगली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ दाखिल किया गया था जिसमें विजय शिंदे और उसके माँ-बाप को धारा 498A (क्रूरता) और धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत दर्ज मामले में बरी कर दिया था।
न्यायमूर्ति एसवी कोटवाल ने अपने फैसले में विजय शिंदे, उसकी 71 वर्षीया माँ और 86 वर्ष के बाप को बरी किये जाने को सही ठहराया और कहा कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ क्रूरता और शिंदे की पत्नी की मौत का कारण बनने का मामला साबित नहीं कर पाया।
पृष्ठभूमि
शिंदे की शादी 1998 में हुई और उनको एक बेटी है। यह अभियोजन पक्ष था जिसमें शिंदे और उसके परिवार पर शिंदे की पत्नी पर अत्याचार और उसको आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था पर वह इसे साबित करने में विफल रहा। विजय पर उसकी भाई की पत्नी के साथ नाजायज संबंध होने का आरोप भी लगाया गया था।
अभियोजन के अनुसार, जून 2001 में शिंदे की पत्नी के दादा, भाऊ काले और उसकी चचेरा भाई उसके ससुराल गए और पाया कि मृतक और आरोपी के बीच झगड़ा चल रहा था। दोनों को समझाने बुझाने के बाद भाऊ काले और उसका चचेरा भाई दोनों ही वहाँ से वापस आ गए।
इसके बाद भाऊ काले को बताया गया कि उसी शाम उसकी पोती ने जहर खा लिया। उसके मर जाने के बाद आरोपी के खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया।
फैसला
कोर्ट ने कहा कि पोस्ट मार्टम में कहा गया कि शिंदे की पत्नी की मौत जहर खाने से हुई। मृतक महिला के दादा और चचेरे भाई सहित सभी गवाहों की पड़ताल करने के बाद कोर्ट ने निचली अदालत से सहमति जताई और कहा, “अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि आरोपी नंबर 1 और उसके भाई की पत्नी के साथ उसके नाजायज संबंध थे। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में प्रकाश डाल सकने वाले परिवार के किसी अन्य सदस्य से पूछताछ नहीं की...”
कोर्ट ने आगे भाऊ काले के बयान पर गौर करते हुए कहा, “जहां तक खाना ठीक से नहीं बनाने और घर का काम ठीक से नहीं करने के आरोपों का मामला है, पीडब्ल्यू 1 ने खुद ही कहा है कि उसने अपनी पत्नी से घर का काम ठीक से करने को कहा था। मृतक को ठीक से खाना बनाने और घर का काम ठीक से करने को कहना अपने आप में बुरा बर्ताव नहीं है। इसके अलावा ऐसे किसी व्यवहार का सबूत नहीं है जो आईपीसी की धारा 498A या 306 के तहत आ सके।
इसके अलावा, पीडब्ल्यू 1 ने स्पष्ट रूप से कहा था कि विगत में सभी आरोपी और पुंडलिक पाटिल ने उसे कहा था कि नंदा सनकी थी और वह शराब भी पीटी थी। आरोपी ने उसे इस मामले में हस्तक्षेप करने को भी कहा था और इस बारे में नंदा से बात करने को कहा था। यह इस बात को दर्शाता है कि उसके जहर खाने के संभव कारण रहे होंगे।
इस तरह इस अपील को खारिज कर दिया गया।