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राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 10 साल पुराने डीज़ल वाहनों के दिल्ली, एनसीआर में चलने पर रोक लगाई, बीएस-IV के बिना पंजीकरण संभव नहीं [आर्डर पढ़े]
![राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 10 साल पुराने डीज़ल वाहनों के दिल्ली, एनसीआर में चलने पर रोक लगाई, बीएस-IV के बिना पंजीकरण संभव नहीं [आर्डर पढ़े] राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने 10 साल पुराने डीज़ल वाहनों के दिल्ली, एनसीआर में चलने पर रोक लगाई, बीएस-IV के बिना पंजीकरण संभव नहीं [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2017/12/NGT-Green-Tribunal.jpg)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 10 साल पुराने कमर्शियल वाहनों के दिल्ली एनसीआर में चलने पर रोक लगाने का एक महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया है । नए डीज़ल वाहन जो बीएस-4 मानक वाले नहीं हैं या ऐसे वाहन जो आवश्यक सेवाओं (जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन,पेट्रोलियम, सीवर क्लीनिंग मशीन, भोजन सामग्री ढोने वाले वाहन, एलपीजी ट्रक) के लिए नहीं हैं अब पंजीकृत भी नहीं हो पाएंगे, ऐसा राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने अपने फैसले में कहा है । अधिकरण ने ऐसी सभी याचिकाओं को स्वीकार करने से मना कर दिया जो 10 साल पुराने डीज़ल वाहन जो बीएस-4 मानक वाले नहीं हैं और जो आवश्यक सेवाओं के उपयोग में नहीं आते, को परिचालन की अनुमति देने के लिए दायर की गई थी । अधिकरण ने 11 दिसम्बर, 2015 के अपने आदेश का हवाला दिया जिसमें अधिकरण ने नए डीज़ल वाहनों के पंजीकरण को निषेध किया था सिवाए उन वाहनों के जो आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने में प्रयोग में लाए जाते हैं और जिनके लिए नए विकल्पों को खोजा जा रहा है ।
4 साल पुराने वायु प्रदूषण के मामले (वर्धमान कौशिक बनाम भारत संघ) का निस्तारण करते हुए , न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्ष ता वाली पीठ ने यह भी साफ किया कि यह आदेश हमेशा के लिए उन डीजल वाहनों को अनुमति नहीं देता है जो आवश्यक सेवाओं के लिए है. उनके लिए यह आदेश तभी तक है जब तक कि पूर्व में डीज़ल वाहनों पर रोक वाला आदेश हट न जाए ।
“यद्यपि अधिकरण ने आवश्यक सेवाएं देने में प्रयोग होने वाले उन वाहनों के बारे में (जिनका उपयोग कुछ समय के लिए हो रहा है) अपवाद किया है पर ये अपवाद सभी स्थितयों और सभी वाहनों के लिए नहीं है”।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और मुज़फ़्फ़रनगर के डीजल वाहनों के मालिकों ने अधिकरण से 10 साल की अवधि के खत्म होने पर 3 साल का समय विस्तार (एक्सटेंशन) चाहा था जिस पर अधिकरण ने उन्हें सशर्त अनुमति देते हुए कहा कि उनके वाहन दिल्ली और एनसीआर की सीमा के अंदर नहीं घुस पाएंगे । याचिकाकर्ताओं ने अधिकरण से उसके 13अक्टूबर, 2017 के आदेश से समानता का अनुरोध किया । इस आदेश में अधिकरण ने डीजल वाहन मालिकों को इस आधार पर वाहन परिचालन की अनुमति दे दी थी कि सीएनजी इंधन स्टेशन की स्थापना में और वक़्त लगेगा ।
राजधानी में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति का संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिसंबर 2015 को प्राइवेट कारों और 2000 सीसी या उससे ऊपर की क्षमता वाली SUV(स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल) के पंजीकरण पर रोक लगा दी थी। हालांकि उच्चतम न्यायालय ने बाद में इसमें 12 अगस्त, 2016 को बदलाव करते हुए उन सभी 2000 सीसी वाले डीज़ल वाहनों के पंजीकरण की अनुमति इस शर्त के साथ दे दी कि उन्हें पर्यावरण मुआवजे के रूप में एक प्रतिशत अतिरिक्त कर देना होगा ।
पुनः 13 अप्रैल 2017 को उच्चतम न्यायालय ने उन सभी वाहनों का पंजीकरण निषेध कर दिया जो बीएस-IV मानक वाले नहीं हैं और मार्च 31, 2017 से पहले बेचे गए हैं । आदेश के अनुसार सिर्फ़ अप्रैल 1, 2017 के बाद बेचे गए वाहन ही पंजीकृत हो सकते हैं ।
याचिकर्ता के वकील संजय उपाध्याय ने अधिकरण को बताया कि उच्चतम न्यायालय का आदेश सिर्फ व्यक्तिगत डीजल वाहनों पर लागू होता है न कि भारी कमर्शियल वाहनों पर जिसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण का निषेधात्मक आदेश लागू है ।
लाइव लॉ को उपाध्याय ने बताया कि “बीएस-IV मानक वाले नए डीज़ल वाहनों को आवश्यक शर्तों के साथ अनुमति दी गई है जो कि पूर्व में अधिकरण द्वारा अध्यापित की गई थी” ।
दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित वर्गीकृत प्रतिक्रिया कार्रवाई योजना के अन्तर्गत कार्यान्वयन और कार्रवाई की रिपोर्ट के दाखिल करने के तरीके को बदलते हुए अधिकरण ने ऐसी रिपोर्टो को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के समक्ष दाखिल करने को कहा न कि अधिकरण के समक्ष ।