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ताज का रखरखाव एक मजाक, यदि यूनेस्को विश्व धरोहर का टैग वापस ले लेता है तो क्या होगा ? : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network
27 July 2018 8:51 AM GMT
ताज का रखरखाव एक मजाक, यदि यूनेस्को विश्व धरोहर का टैग वापस ले लेता है तो क्या होगा ? : सुप्रीम कोर्ट
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अगर यूनेस्को ताज के विश्व धरोहर टैग को वापस ले लेता है तो क्या होगा ? यह कितनी बड़ी शर्मिंदगी होगी। कौन ज़िम्मेदार है?पीठ ने कहा, "आप खुद फैसला करें।” 

 सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को  ताजमहल के संरक्षण के संबंध में विभिन्न दिशा निर्देशों का पालन ना करने पर यूपी सरकार, एएसआई और केंद्र सरकार को जोरदार फटकार लगाई और कहा कि  प्रतिष्ठित हाथीदांत-सफेद संगमरमर के मकबरे का रखरखाव एक मजाक बन गया है।

 "ताज ट्रैपेज़ियम जोन ( TTZ) प्रबंधन फ्लॉप है। सब कुछ एक मजाक बन गया है। यह क्या तमाशा  चल रहा है?  आप इससे कॉमेडी शो कर सकते हैं? “ न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने आगरा के जिला मजिस्ट्रेट से कहा जिन्हें  अदालत में तलब किया गया था।

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने यह भी कहा कि यदि यूनेस्को ताज को  विश्व धरोहर का टैग वापस ले लेता है तो यह बड़ी शर्मिंदंगी होगी।

अदालत खास तौर पर इसलिए गुस्से में थी क्योंकि अभी भी ताज ट्रैपेज़ियम जोन (टीटीजेड)में कई आदेशों के बावजूद अभी भी  1,167 प्रदूषणकारी उद्योग चल रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने की जिम्मेदारी कोई विभाग नहीं ले रहा है।

"हमें आशा है कि ऐसा नहीं होगा लेकिन अगर वर्तमान स्थिति को देखते हुए अगर यूनेस्को ताज के विश्व धरोहर टैग को वापस ले लेता है तो क्या होगा ? यह कितनी बड़ी शर्मिंदगी होगी। कौन ज़िम्मेदार है? पीठ ने कहा, "आप खुद फैसला करें।”  उन्होंने कहा, "ऐसा कुछ होने से पहले कृपया काम करें, “ उन्होंने कहा  "अधिकारियों की बहुतायत है- यूपी सरकार, पर्यटन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, एएसआई लेकिन कोई भी कुछ भी नहीं करता।  न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा, बाएं हाथ को नहीं पता कि दायां हाथ क्या कर रहा है।

अदालत बहुत गुस्से में थी क्योंकि  उपस्थित वकीलों की एक बड़ी संख्या जिसमें केंद्र के शीर्ष वकील अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल भी शामिल थे, के बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिला कि ताजमहल के रखरखाव और ताज ट्रैपेज़ियम जोन (टीटीजेड) से संबंधित अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए कौन प्रभारी है।

न्यायमूर्ति लोकुर इसलिए भी गुस्से में थे क्योंकि यूपी सरकार ने ताज को अपनी प्राचीन महिमा में बहाल करने के लिए विजन डाक्यूमेंट के मसौदे पर काम करने के दौरान एएसआई से परामर्श नहीं लिया और जस्टिस लोकुर ने  ताजमहल और ताज ट्रैपेज़ियम जोन के हर पहलू पर अधिकारियों द्वारा एक- दूसरे पर ज़िम्मेदारी थोपने पर फटकार लगाई।

 अदालत ने कहा कि वह 31 जुलाई तक जानना चाहती है कि ताज और टीटीजेड दोनों के रखरखाव के लिए वास्तव में कौन सी अथॉरिटी है।

"हर संस्था यूपी सरकार, पर्यटन मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, एएसआई और यहां तक ​​कि गृह मंत्रालय भी सुरक्षा मुद्दों का हवाला देते हुए हलफनामा दाखिल करते हैं लेकिन जब हम कोई सवाल पूछते हैं तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं है, “

न्यायमूर्ति लोकुर ने संकेत दिया कि वो निजी पार्टियों और संरक्षणविदों को ताजमहल के रखरखाव को आउटसोर्स भी कर सकते हैं।पीठ ने यूपी सरकार से विजन डाक्यूमेंट की  प्रतियां INTAC, आगा खान फाउंडेशन, ICOMOS  को देने के लिए कहा और उनकी  टिप्पणियां आमंत्रित कीं।

यूपी सरकार ने अपने विजन दस्तावेज में कहा था कि उनकी प्रत्येक परियोजना में दो से तीन साल लग सकते हैं, अदालत ने कहा, "अल्प अवधि के भीतर क्या कार्यान्वित किया जा सकता है संरक्षणविदों से परामर्श करें और 31 जुलाई तक हमें बताएं।”

 यूपी सरकार ने 24 जुलाई को एक विजन दस्तावेज प्रस्तुत किया था और सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मुगलकालीन स्मारक के पूरे परिसर को नो-प्लास्टिक क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए और इस क्षेत्र में सभी प्रदूषणकारी उद्योग बंद किए जाने चाहिएं। यूपी सरकार ने 17 वीं शताब्दी के स्मारक के  संरक्षण पर एक विजन दस्तावेज की पहली मसौदा रिपोर्ट दायर की थी।

मसौदा विजन दस्तावेज में यह भी कहा गया कि यमुना नदी के किनारे सड़कों की योजना बनाई जानी चाहिए ताकि यातायात सीमित किया जा सके और लोगों के पैदल चलने को प्रोत्साहित किया जा सके।

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