राजस्व रिकॉर्ड में भूमि का वर्गीकरण निष्कर्षतः यह नहीं बताता कि इस पर SARFAESI अधिनियम लागू होगा : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
25 July 2018 5:53 PM IST
‘जमीन का कोई टुकड़ा कृषि भूमि है कि नहीं इसका पता तथ्यात्मक रूप से अवश्य ही उस जमीन की प्रकृति, जिस तिथि को इसको प्रतिभूतिकरण के लिए दिया गया उस समय उसका किस कार्य के लिए प्रयोग हो रहा था और जिस उद्देश्य के लिए इसे अलग से रखा गया, से लगाना चाहिए’
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन बैंक बनाम के पप्पीरेडियार के मामले में कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में किसी भूमि को कृषि भूमि बताना निष्कर्षतः इस सवाल का उत्तर नहीं देता कि इस पर SARFAESI अधिनियम लागू होता है या नहीं।
इंडियन बैंक ने इस बारे में मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा था कि बैंक ने इस मामले में SARFAESI अधिनियम के तहत जो कार्रवाई शुरू की है उसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि कृषि भूमि पर यह अधिनियम लागू नहीं होता।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि पक्षकारों की जो अपनी अपनी दलीलें थीं, उस पर हाईकोर्ट ने कोई गौर किया ही नहीं – बैंक का कहना था कि संबंधित जमीन कृषि भूमि नहीं थी जबकि कर्जदारों का कहना था कि यह कृषि भूमि है।
यद्यपि कर्जदारों की दलील का आधार आईटीसी बनाम ब्लू कोस्ट होटल्स लिमिटेड मामले में आया फैसला था जिसमें कहा गया था कि अधिनियम की धारा 31(i) के तहत कृषि भूमि का प्रतिभूतिकरण नहीं किया जा सकता, जबकि पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि इस भूमि का प्रयोग सब्जियां उगाने के लिए हो रहा था।
“राजस्व रिकॉर्ड में किसी भूमि को कृषि भूमि बताना निष्कर्षतः इस सवाल का उत्तर नहीं देता कि इस पर SARFAESIअधिनियम लागू होता है या नहीं। जमीन का कोई टुकड़ा कृषि भूमि है कि नहीं तथ्यात्मक रूप से इसका पता अवश्य ही उस जमीन की प्रकृति, जिस तिथि को इसको प्रतिभूतिकरण के लिए दिया गया उस समय उसका किस कार्य के लिए प्रयोग हो रहा था और जिस उद्देश्य के लिए इसे अलग से रखा गया, से लगाना चाहिए,” पीठ ने कहा।
पीठ ने आगे कहा कि जमीन कृषि भूमि है कि नहीं इसका निर्धारण इसके बारे में उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों को समग्रता में देखते हुए होना चाहिए जिसमें उस जमीन की प्रकृति, जिस तरह के उपयोग में इसे लगाया गया और जिस थिति को इसको प्रतिभूतिकरण के लिए दिया गया उस दिन पक्षकारों का इसके प्रयोग के बारे में इरादा क्या था, शामिल हैं।
पीठ ने कहा, इस तरह की विशेष जानकारियों के अभाव में, हमारा मानना यह है कि हाईकोर्ट के फैसले को निरस्त किया जाए और इस मामले पर फिर से गौर करने को कहा जाए। और इस तरह पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया।