सुप्रीम कोर्ट ने जंतर मंतर और बोट क्लब पर धरना प्रदर्शन का रास्ता खोला, कहा पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
23 July 2018 10:17 PM IST
सेंट्रल दिल्ली के जंतर मंतर और बोट क्लब जैसी जगहों पर अब धरना प्रदर्शन हो सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने सोमवार को ये आदेश जारी करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस कमिश्नर दो हफ्ते में इन धरना प्रदर्शन की इजाजत देने के लिए गाइडलाइन बनाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है और धरना प्रदर्शन पर पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता।
जनवरी में जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक के मामले में पंजाब की एक रेप पीडिता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सीकरी की बेंच ने दिल्ली पुलिस और नई दिल्ली नगर पालिका ( NDMC) को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में कहा कि NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है जबकि रामलीला मैदान संसद से काफी दूर है। इसके अलावा वहां के लिए 1.20 लाख रुपये जमा कराने को कहा जाता है। याचिका में कहा गया था कि शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन करना मौलिक अधिकार है।
इससे पहले 4 दिसंबर 2017 को जस्टिस ए के सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने सेंट्रल दिल्ली में लगातार CrPC की धारा 144 लगाए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस से इस संबंध में जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि लोगों के शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन के मौलिक अधिकार और कानून व्यवस्था बनाए रखने के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं ?
दरअसल मजदूर किसान शक्ति संगठन ( MKSS), इंडियन एक्स -सर्विसमैन एसोसिएशन व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सेंट्रल दिल्ली में शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन करने की इजाजत देने के की मांग की थी।याचिका में कहा गया कि अक्तूबर में NGT ने जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी जबकि पूरी सेंट्रल दिल्ली में दिल्ली पुलिस की ओर से हमेशा धारा 144 लगाई गई है। ऐसे में लोगों के शांतिपूर्व प्रदर्शन करने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। उनका ये भी कहना है कि संविधान से मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता और दिल्ली पुलिस द्वारा लागू की गई धारा 144 मनमानी और गैरकानूनी है। याचिका में संगठन ने सुझाया कि इंडिया गेट के पास बोट क्लब पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए वैकल्पिक तौर पर इजाजत दी जा सकती है।
गौरतलब है कि 1993 में किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत की रैली के बाद से ही बोट क्लब पर धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी। पिछले साल पांच अक्तूबर को NGT ने जंतर मंतर पर भी धरना प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी।
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश प्रशांत भूषण ने कहा था कि इस तरह की रोक संविधान के मौलिक अधिकार 19 1(b) के तहत शांतिपूर्वक इकट्ठा होने के खिलाफ है। हालांकि शुरुआत में बेंच इस मामले की सुनवाई नहीं करना चाहती थी और बेंच का कहना था कि NGT के आदेश को चुनौती दी जानी चाहिए। लेकिन प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकतंत्र में शांतिपूर्वक अपनी बात रखने का अधिकार संविधान ने दिया है। धारा 144 को अचानक पैदा होने वाली कानून व्यवस्था की संभावना के तहत लगाया जाना चाहिए। जिस तरीके से पुलिस ने सेंट्रल दिल्ली में धारा 144 का इस्तेमाल किया है, वो पूरी तरह मनमाना और गैरकानूनी है। इसे लेकर कोर्ट को नियंत्रण करने के लिए कोई गाइडलाइन बनानी चाहिए। कोर्ट ने ASG तुषार मेहता से इस केस में मदद करने को कहा था।