संदेह का लाभ देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपी को 6 साल की बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के आरोप से बरी किया [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
21 July 2018 10:43 AM IST
आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 302 और 376(f) के तहत सजायाफ्ता एक आरोपी को बरी कर दिया है। आरोपी गायकवाड को छह साल की पीड़ित बच्ची से एक फुट दूर सोया पाया गया। इस बच्ची के गुप्तांगों पर चोट के निशान थे और वह बेहोश पाई गई थी।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सारंग कोटवाल आरोपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया जिसमें उसने निचली अदालत के निर्णय को चुनौती दी थी जिसने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
मामले की पृष्ठभूमि
सितंबर 4 2009 को मृतक के पिता ने एफआईआर दर्ज कराया था जिसमें उसने कहा था कि उसकी छह साल की बेटी उस झोपड़ी में नहीं है जहां वे रह रहे हैं। इसके बाद उसको उसकी बेटी बेहोश पड़ी मिली जिसके गुप्तांगों पर चोट के निशान थे।
आरोपी इस लड़की के बगल में कुछ दूर सोया पड़ा मिला और वह सिर्फ अपना शॉर्ट्स पहने हुए था।
यह घटना गणपति विसर्जन के दिन हुआ और उस समय सड़क पर काफी बड़ी संख्या में पुलिसवाले मौजूद थे इसलिए आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर लिया गया।
पीड़िता को सेंट जार्ज अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया जिसके बाद एफआईआर दर्ज किया गया।
फैसला
आरोपी के वकील जयश्री त्रिपाठी ने कोर्ट में कहा कि इस बात की प्रबल संभावना है कि किसी अन्य व्यक्ति ने इस अपराध को अंजाम दिया और इसके बाद उसकी लाश को वहाँ छोड़ दिया जहां आरोपी सोया हुआ था। उन्होंने कहा कि चूंकि यहाँ घरों में दरवाजे नहीं हैं इसलिए किसी के लिए भी ऐसा करना कोई मुश्किल नहीं है।
दूसरी ओर, अतिरिक्त जन अभियोजक एचजे देधिया ने बच्ची के माँ-बाप के बयानों को उद्धृत किया और इस बात को दुहराया कि आरोपी पीड़ित के बगल में सोया पाया गया जो यह साबित करता है कि अपराध आरोपी ने किया।
सभी साक्ष्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट आरोपी को दी गई सजा से संतुष्ट नहीं हुआ। न्यायमूर्ति कोटवाल ने कहा :
“अभियोजन ने जो साक्ष्य संग्रह किए हैं उसके अनुसार स्पष्ट है कि अभियोजन पक्ष के गवाह कोई गलत कहानी नहीं कह रहे हैं। हालांकि,इसके बावजूद अभियोजन संदेह पैदा करने से आगे नहीं बढ़ पाता है। निश्चित रूप से उस रात काफी भीड़ थी और भारी पुलिस बंदोबस्त था। इस बात के साक्ष्य हैं कि जहां पीड़ित पाई गई वहाँ पुलिस अधिकारी मौजूद थे...घर में कोई भी घुस सकता था...याचिकाकर्ता का शांतिपूर्ण तरीके से सोये रहना उसके खिलाफ जुर्म को साबित नहीं करता।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कोई अन्य व्यक्ति यह अपराध करने के बाद उसके नजदीक लाश को रख दिया हो...इस मामले में और कोई परिस्थिति नहीं है जो अपीलकर्ता को इस अपराध से संबद्ध करता हो।”
यह भी कहा गया कि कैसे आरोपी के मेडिकल जांच से पता चला कि आरोपी के गुप्तांग पर वीर्य या योनि द्रव नहीं पाया गया। इस तरह, आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने सजा के खिलाफ उसकी अपील को स्वीकार कर लिया।