किसी छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका को देखने की अनुमति देने से न तो जनहित प्रभावित होता है और न सरकार का कामकाज : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

18 July 2018 12:48 PM IST

  • किसी छात्र को उसकी उत्तर पुस्तिका को देखने की अनुमति देने से न तो जनहित प्रभावित होता है और न सरकार का कामकाज : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]

    गोपनीयता और संवेदनशील सूचनाओं के उजागर होने का मुद्दा उठ सकता है लेकिन आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में इस मुद्दे को सुलझाया जा चुका है जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि गोपनीयता बनाए रखने के लिए परीक्षक की पहचान को उजागर नहीं किया जाएगा।

    उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को एक उम्मीदवार को अपनी उत्तर पुस्तिका को देखने की इजाजत देने का आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी उम्मीदवार को उसकी उत्तर पुस्तिका को देखने की इजाजत दी जाती है तो इससे आम हित नहीं प्रभावित होता है और न ही सरकार के सक्षम रूप से काम करने पर कोई असर पड़ता है।

    म्रदुल मिश्र ने अपने आरटीआई आग्रह को ठुकराए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसमें उसने अपनी उत्तर पुस्तिका को देखने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 8(1) (e) के प्रावधानों के तहत यह आग्रह ठुकरा दी थी।

    न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं अन्य बनाम आदित्य बंदोपाध्याय मामले में कोर्ट ने कहा था कि उम्मीदवार को उस उत्तर पुस्तिका को देखने का अधिकार है जो उसने परीक्षा संबंधी निकाय को सौंपा है।

    यूपीपीएससी के वकील ने यूपीएससी बनाम अग्नेश कुमार मामले का हवाला दिया और कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में प्राप्तांक के बारे में कोई भी विवरण यांत्रिक रूप से देने की आदेश नहीं दिया जा सकता है।

    “...अगर कोर्ट को लगता है कि सूचना देना आम हित में है तो उस स्थिति में कोर्ट को यह अधिकार है कि वह एक विशेष परिस्थिति में इस बारे में आदेश दे। अगर नियम और परिपाटी इसकी मांग करता है, तो इस तरह के नियम और परिपाटी को लागू किया जा सकता है वर्तमान मामले में इन बातों पर गौर किये बिना ही निर्देश जारी कर दिए गए हैं।”

    इस पर गौर करते हुए पीठ ने कहा, “हमारी राय में किसी उम्मीदवार को अपनी उत्तर पुस्तिका देखने की अनुमति देने में कोई जनहित का मामला नहीं जुड़ा है  और न ही इससे सरकार के सुचारू काम काज में कोई अड़चन आती है। गोपनीयता और संवेदनशील सूचनाओं के उजागर होने का मुद्दा उठ सकता है लेकिन आदित्य बंदोपाध्याय के मामले में इस मुद्दे को सुलझाया जा चुका है जिसमें यह स्पष्ट कहा गया है कि गोपनीयता बनाए रखने के लिए परीक्षक की पहचान को उजागर नहीं किया जाएगा। इस स्थिति को देखते हुए हमें इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि अपीलकर्ता को उत्तर पुस्तिका देखने का अधिकार है।”

    यह कहते हुए कि उम्मीदवार को अपनी उत्तर पुस्तिका को देखने का अधिकार है, कोर्ट ने कहा, “हम प्रतिवादी यूपीपीएससी को निर्देश देते हैं कि वह कोई तिथि, समय और जगह निर्धारित करे जहां याचिकाकर्ता चार सप्ताह के भीतर आकर अपनी उत्तर पुस्तिका जांच ले।”


     
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