वैवाहिक विवाद गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति देने का पर्याप्त कारण नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
15 July 2018 10:38 AM IST
तथ्य यह है कि वह अपने वैवाहिक जीवन से गर्भावस्था में पहुंची है और वो बालिग और शिक्षित है
गर्भावस्था समाप्त करने की मांग की एक याचिका से इंकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि वैवाहिक विवाद को गर्भावस्था को समाप्त करने का पर्याप्त कारण मानते हुए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट , 1971 के प्रावधानों का आह्वान करते हुए गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
20 सप्ताह से अधिक का गर्भ धारण करने वाली एक विवाहित महिला ने बॉम्बे हाईकोर्ट में कहा था कि वह गर्भावस्था जारी रखने का इरादा नहीं रखती क्योंकि वह अपनी पढ़ाई जारी रखने और तलाक के लिए आवेदन करने का इरादा रखती है। उसके अनुसार मिर्गी की बीमारी को ध्यान में रखते हुए और पढ़ाई जारी रखने की इच्छा के चलते उसे गर्भ को आगे ना बढ़ाने की सलाह दी गई है।
उसकी याचिका में यह भी कहा गया था कि उसने हमेशा अपने पति को सुरक्षात्मक यौन संबंध रखने के लिए चेतावनी दी थी लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया। याचिका में अधिनियम की धारा 3 के तहत गर्भपात के लिए 20 सप्ताह के निर्धारण को भी चुनौती दी है और इसके लिए आधार दिया गया है कि ये प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के विपरीत है।
जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस नितिन डब्ल्यू सांब्रे की पीठ ने कहा कि उसके द्वारा प्रस्तुत मेडिकल पेपर में से कोई भी प्रमाणित नहीं करता कि यह गर्भ उसके जीवन के लिए आसन्न खतरा है और उसके पास कोई मामला नहीं है कि भ्रूण जीवित रहने में सक्षम नहीं होगा। पीठ ने पाया कि महिला गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति मांग रही है और तथ्य यह है कि वह अपने वैवाहिक जीवन से गर्भावस्था में पहुंची है और वो बालिग और शिक्षित है।
पीठ ने कहा: "यह ध्यान देने योग्य है कि याचिकाकर्ता अपने पति के साथ वैवाहिक विवाद, तलाक की कार्यवाही शुरू करने और अपने करियर को आगे बढ़ाने और अपनी शिक्षा योग्यता में सुधार करने के इरादे के कारण के आधार पर गर्भावस्था को समाप्त करने की मांग कर रही है।
अगर याचिकाकर्ता द्वारा उद्धृत उपरोक्त कारणों की मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट , 1971 के प्रावधानों के प्रकाश में जांच की जाती है तो गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना को स्वीकार करने के लिए सभी आधार मान्यता प्राप्त नहीं है। "
याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा: " वैवाहिक विवाद को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट , 1971 के प्रावधानों का टआह्वान करके गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने के कारण के रूप में नहीं माना जा सकता। याचिका में बताई गई घटनाओं के लिए गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति देने के लिए याचिकाकर्ता के अनुरोध पर विचार करना और अनुदान देना वास्तव में मुश्किल है। "
पीठ ने 20 सप्ताह की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई से इनकार कर दिया कि इस पर कोई तर्क नहीं दिया गया है।