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सुप्रीम कोर्ट ने दुहराया, बलात्कार के मामले में पीड़िता का पहचान जाहिर नहीं हो इस बारे में हर अदालत को हर संभव प्रयास करना चाहिए [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
8 July 2018 1:14 PM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने दुहराया, बलात्कार के मामले में पीड़िता का पहचान जाहिर नहीं हो इस बारे में हर अदालत को हर संभव प्रयास करना चाहिए [आर्डर पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर अदालत को इस बारे में पूरी कोशिश करनी चाहिए कि बलात्कार पीड़िता की पहचान जाहिर नहीं हो।

न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने बलात्कार के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील को निरस्त करते हुए यह बात कही।

पीठ ने कहा कि निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले में इस मामले की पीड़िता के नाम का उल्लेख किया गया है।

“आईपीसी की धारा 228 के अनुरूप यह नहीं है हालांकि कि ऊपरी अदालत को इस फैसले में अपवाद बताया गया है। इसके बावजूद, अदालत को इस बात का पूरा प्रयास करना चाहिए कि वह आईपीसी की धारा 228-A के सन्दर्भ में पीड़िता की पहचान जाहिर नहीं करे,” पीठ ने पंजाब राज्य बनाम रामदेव सिंह के मामले का उल्लेख करते हुए यह बात कही।

पीठ ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह अपील की रिकॉर्ड को जज के समक्ष पेश करे ताकि रिकॉर्ड में उपयुक्त संशोधन किया जा सके और प्रैक्टिस के बारे में उचित निर्देश भी दिया जा सके ताकि राज्य की निचली अदालतें आईपीसी की धारा 228-A की भावनाओं के अनुरूप कार्य कर सकें।

पंजाब राज्य बनाम रामदेव सिंह मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “हम पीड़िता के नाम का उल्लेख करने का प्रस्ताव नहीं कर रहे हैं। आईपीसी की धारा 228-A कुछ अपराधों में पीड़िता की पहचान को जाहिर करने को दंडनीय अपराध करार देता है...यौन अपराधों की शिकार पीड़िता को सामाजिक बहिष्कार से बचाने के सामाजिक उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह उचित होगा कि चाहे इस कोर्ट का फैसला हो, हाईकोर्ट का हो या निचली अदालत का, फैसले में पीड़िता के नाम का उल्लेख नहीं किया जाए। हमने फैसले में उसको ‘पीड़िता’ बताना स्वीकार किया है।”


 
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