Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

मेडिकल कॉलेजों में तदर्थ प्रवेश की अनुमति के छात्रों के लिए बहुत ही विपरीत परिणाम हो सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
6 July 2018 11:17 AM GMT
मेडिकल कॉलेजों में तदर्थ प्रवेश की अनुमति के छात्रों के लिए बहुत ही विपरीत परिणाम हो सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
x

सुप्रीम कोर्ट ने एक मेडिकल कॉलेज को प्रथम एमबीबीएस कोर्ट में छात्रों को तदर्थ प्रवेश देने के हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि इस तरह के आदेश और प्रवेश को याचिका के अंतिम फैसले पर निर्भर कर देने से छात्रों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और छात्रों के प्रति दुर्भावनाएं बढेंगी।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में एक मेडिकल कॉलेज को अपने प्रथम एमबीबीएस कोर्ट में छात्रों को 2018-19 अकादमिक सत्र में छात्रों का प्रवेश लेने की इजाजत दे दी। मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया ने इस आदेश की सुप्रीम कोर्ट में आलोचना की।

न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने मेडिकल कॉलेज की जांच रिपोर्ट पर गौर करते हुए कहा कि कॉलेज जिस तरह से अपनी कमियों को दूर करने में विफल रहा है उसे देखते हुए इस कॉलेज को छात्रों का प्रवेश लेने की अनुमति नहीं दिया जाना चाहिए था बशर्ते कि कॉलेज जाकर जांच से यह पता चल जाता कि वहाँ सब कुछ दुरुस्त कर दिया गया है।

 पीठ ने जिन कुछ तथ्यों पर गौर किया वे इस तरह से हैं :




  • शुरू में भी कॉलेज का दो बार निरिक्षण किया गया था और कमियाँ पाई गई थीं, एमसीआई और केंद्र ने ने इस योजना को हरी झंडी नहीं दी थी। और सुप्रीम कोर्ट की ओवरसाइट कमिटी ने इस कॉलेज को 2016-17 अकादमिक वर्ष में प्रवेश की अनुमति दी थी।

  • जिन शर्तों पर अनुमति दी गई थी उसे पूरी नहीं की गईं और कमियाँ कायम रहीं। और फिर उसके बाद कॉलेज पर दो साल के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

  • कॉलेज में जाकर जांच करने के बाद इस कॉलेज में फिर कमियाँ पाई गईं। इसके मामले पर फिर गौर किया गया और नतीजा फिर नकारात्मक रहा।

  • जांच के बाद कॉलेज के दावे सरासर गलत पाए गए और फिर उसके बारे में नकारात्मक सिफारिश की गई।

  • केंद्र सरकार के अधीन कॉलेज का मुद्दा विचाराधीन रहते हुए मामले को लेकर रिट याचिका दायर की गई और उसके बाद इस पर अंतरिम आदेश दे दिया गया।


 पीठ ने इन बातों को देखते हुए सतर्कतापूर्ण कदम उठाने की जरूरत बताई। कोर्ट कहा, “यह पूरा मामला छात्रों के लिए मुश्किल साबित होगा और उनके अकादमिक वर्ष की बर्बादी होगी। इस वजह से अंतरिम राहत देते हुए बहुत सावधान रहने की जरूरत होती है। किसी विशेष मामले में स्थान पर जाकर जांच करने की प्रक्रिया को जल्दी पूरी की जा सकती है पर तदर्थ प्रवेश की अनुमति दे देना और फिर याचिका के अंतिम फैसला पर इसे निर्भर कर देने का छात्रों के लिए बहुत ही प्रतिकूल परिणाम होंगे और उनक खिलाफ दुर्भावना पैदा होगी”।


 
Next Story