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तमिलनाडु और पुदुचेरी बार काउंसिल में पंजीकरण कराने वाली सत्यश्री शर्मिला पहली ट्रांसजेंडर वकील बनीं

कानूनी समुदाय में समावेश के लिए एक बड़ी जीत में रामानाथपुरम जिले के परमकुडी से 36 साल की सत्यश्री शर्मिला तमिलनाडु और पुदुचेरी (बीसीटीएनपी) बार काउंसिल में नामांकन करने वाली पहले ट्रांसजेंडर वकील बन गई हैं।
उदयकुमार के रूप में पैदा हुई शर्मिला 18 साल की उम्र में अपने घर छोड़कर चली गईं जब उनके पड़ोसियों ने दुर्व्यवहार शुरू कर दिया। उसके बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर सत्यश्री शर्मिला कर दिया और परमकुडी से बी.कॉम (कंपनी सचिव) पूरा किया।वो किसी भी तरह से अपने समुदाय की मदद करना चाहती हैं, इसलिए उन्होंने उसके बाद कानून में पढ़ाई करने का फैसला किया।
वह 2004 में सेलम गवर्नमेंट कॉलेज में बैचलर्स ऑफ लॉ कोर्स में शामिल हो गईं और सफलतापूर्वक 2007 में पाठ्यक्रम पूरा कर लिया। इस दौरान वो निश्चित रूप से बाधाओं से जूझ रही थी। मिसाल के तौर पर वह घर छोड़ चुकी थी,लेकिन वह कॉलेज छात्रावास में नहीं रह सकी क्योंकि वह पुरुषों के साथ नहीं रह सकती थी। उन्होंनें खुद को एक महिला के रूप में पहचाना था और न ही वह लड़कियों के साथ रह सकती थी, क्योंकि उन्होंने पुरुष के तौर पर नामांकन किया था।
इसके अलावा, वह एक दशक से अधिक समय तक इंतजार कर रही थी, इससे पहले कि वह राज्य बार काउंसिल में खुद को नामांकित करने के लिए पर्याप्त आत्मविश्वास महसूस कर सके।
फिर भी जब न्यायाधीशों ने उसका नाम राज्य में पहले ट्रांसजेंडर वकील के रूप में बुलाया तो वह अपनी सभी समस्याओं को भूल गई। दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश, जिन्होंने 600 से अधिक छात्रों को दाखिला लेने के लिए शपथ दिलाई, उन्होंने कहा कि वह अपने जीवनकाल के दौरान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में एक ट्रांसजेंडर को देखने के लिए उत्सुक हैं।
आशा और उत्साह से भरी, शर्मिला को अब यह कहते हुए उद्धृत किया गया, “ मुझे समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय को मिलने वाले ट्रीटमेंट के बारे में अभी भी विश्वास नहीं था। लेकिन मेरा मानना है कि हमारे लिए चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं।
2014 में सुप्रीम कोर्ट के हमें तीसरे लिंग के रूप में पंजीकृत करने के बाद हमें पहचाना जाना शुरू हो गया है। इसलिए मैंने सोचा कि ये समय खुद को एक वकील के रूप में पंजीकृत करने के लिए आया है। समुदाय की सेवा अब मेरी प्राथमिकता है। "