कोर्ट में विभिन्न मामलों में होने वाली वसूली से हो सकता है पर्यावरण का बचाव,मद्रास हाईकोर्ट ने पर्यावरण कोष बनाने का आदेश दिया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

30 Jun 2018 2:52 PM GMT

  • कोर्ट में विभिन्न मामलों में होने वाली वसूली से हो सकता है पर्यावरण का बचाव,मद्रास हाईकोर्ट ने पर्यावरण कोष बनाने का आदेश दिया [आर्डर पढ़े]

    एक महत्त्वपूर्ण फैसले में मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक पर्यावरण कोष बनाने का आदेश दिया है। इस कोष के पास कोर्ट द्वारा विभिन्न मामलों में लगाए जाने वाले जुर्माने की राशि जमा की जाएगी और फिर इस राशि का प्रयोग पौधे लगाने, पानी की सफाई और तालाबों और की सफाई पर होगा।

    न्यायमूर्ति डी कृष्णकुमार ने एक मामले को निपटाते हुए यह आदेश दिया। इस मामले में दोनों पक्षों में समझौता हो गया प्रतिवादी ने किसी कल्याणकारी कार्य में कुछ योगदान करने की इच्छा जताई थी।

    इस पर न्यायमूर्ति कृष्णकुमार ने पर्यावरण को साफ़ रखने के अधिकार पर जोर दिया और कहा कि प्राकृतिक पर्यावरण को बचाना हमारा मौलिक कर्तव्य है।

    “…इस अदालत का यह दृढ़ विश्वास है कि यह उचित होगा कि विभिन्न स्रोतों से आने वाली जुर्माने या योगदान की राशि एक‘पर्यावरण कोष’ को दी जाए ताकि पौधे आदि लगाये जा सकें,” कोर्ट ने कहा।

    इसके बाद कोर्ट ने तमिलनाडु विधिक सेवा प्राधिकरण, चेन्नई को निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए –

    1) तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, चेन्नई ‘पर्यावरण कोष’ का एक अलग खाता खोलेगा और विभिन्न अदालतों से इस मद में आने वाली राशि इसमें जमा की जाएगी।

    2) तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, चेन्नई के सदस्य सचिव ‘पर्यावरण कोष’ के तहत मिलने वाली राशि का प्रयोग पौधे लगाने और उनकी देखभाल पर खर्च करेगा।

    3) इस कोष का प्रयोग जल निकायों की सफाई पर भी होगा।

    4) स्थानीय निकायों की मदद से तालुका विधिक सेवा समितियां उन स्थानों का चुनाव कर सकती हैं जहां पौधे लगाए जाने हैं और यह प्रस्ताव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को सौंपा जाएगा। इसमें किस तरह के पेड़ लगाए जाएंगे इसका भी जिक्र होगा और यह भी कि इस पर कितना खर्च आएगा। इन पौधों की देखभाल तालुका विधिक सेवा समितियां स्थानीय संस्थाओं,पीडबल्यूडी और स्वैच्छि संगठनों और एनजीओ की मदद से करेगा।

    5) किस तरह के पौधे लगाए जाएं इस बारे में वन विभाग और संबंधित अन्य विभागों और प्राधिकरणों से भी मदद ली जा सकती है।

    6) अगर फल और सब्जियों के पौधे लगाए जाते हैं तो इनके उत्पादों के विपणन के बारे में जिला/तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण निर्णय करेगा और यह राशि पर्यावरण कोष में जमा कराई जाएगी।

    7) इसी तरह का एक खाता पुदुचेरी विधिक सेवा प्राधिकरण का सदस्य सचिव भी खोलेगा।

    8) रजिस्ट्री मुख्य न्यायाधीश की अनुमति मिलने के बाद इस आदेश की कॉपी तमिलनाडु और पुदुचेरी के सभी निचली अदालतों को भेजेगा।

    9) जब भी उक्त कोष के लिए कोई राशि प्राप्त की जाएगी तो उसे पर्यावरण कोष में जमा कराया जाएगा। अगर जरूरत हो, तो इसके लिए संबंधित कोर्ट एक अलग चालान पुस्तिका रख सकता है।

     10) यह आदेश उपयुक्त संशोधन के साथ हाईकोर्ट और उसकी मदुरै पीठ पर भी लागू होगा जो कि अपने-अपने जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के साथ मिलकर काम करेगा।

    11) मदुरै पीठ में इस कोष के लिए मिलने वाली राशि वहाँ की रजिस्ट्री लेखा विभाग के माध्यम से संग्रह करेगा जिसे बाद में तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के खाते में दाल दिया जाएगा जिसकी देखरेख उसका सदस्य सचिव करता है।

     इस कोष की स्थापना के आदेश के बाद दोनों प्रतिवादियों ने इस मद में कंगेयम स्थित तालुका विधिक सेवा समिति, तिरुपुर जिला में इस कोष में राशि जमा करने के लिए सामने आए और उनको इसकी अनुमति दी गई। कंगेयम स्थित तालुक विधिक सेवा समिति, तिरुपुर जिला को इसके बाद कोर्ट ने इस राशि को स्वीकार करने की इजाजत दी जिसका प्रयोग उक्त उद्देश्य के लिए होगा और वह इसकी रिपोर्ट तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, चेन्नई के सदस्य सचिव को इस बारे में रिपोर्ट भेजेगा जिसमें खर्च की गई राशि का ब्यौरा होगा और यह भी कि अब कितनी राशि उसमें बची है।


     
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