प्रेम प्रसंग के चलते जिला जज पिता द्वारा घर में बंधक बनाई कानून स्नातक छात्रा के बचाव में आगे आया पटना हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

29 Jun 2018 5:34 AM GMT

  • प्रेम प्रसंग के चलते जिला जज पिता द्वारा घर में बंधक बनाई कानून स्नातक छात्रा के बचाव में आगे आया पटना हाईकोर्ट [आर्डर पढ़े]

    पटना हाईकोर्ट एक जिला जज की 24 वर्षीया कानून स्नातक बेटी के बचाव में आगे आया है जिसे पिता द्वारा गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाया गया था। पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चाणक्य राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय (सीएनएलयू) पटना को उनके गेस्ट हाउस 15 दिनों की अवधि के लिए उसे रहने की व्यवस्था करने का आदेश दिया।

    मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पटना को निर्देश दिया कि 24 घंटे सुरक्षा,हो सके तो महिला सुरक्षा अधिकारी छात्रा की सुरक्षा के लिए परिसर में उपस्थित हों।

     बेंच ने इस अवधि के दौरान उसके मनपसंद गतिविधियों और किसी से भी बातचीत को सुनिश्चित करने के लिए कई दिशा निर्देश जारी किए और आदेश दिया, "कॉर्पस जिससे भी चाहती है उससे बातचीत करने के लिए स्वतंत्र है। उसे अदालत के अनुरोध पर माता-पिता द्वारा मोबाइल फोन प्रदान किया गया है और वह किसी के साथ बात करने के लिए स्वतंत्र है या गेस्ट हाउस में रहने के दौरान वो लेडी कॉन्स्टेबल / ऑफिसर के माध्यम से किसी से मिलने या उससे बात करने से इंकार कर सकती है।

    हालांकि, हम माता-पिता को परिसर में  जाने के लिए स्वतंत्रता देते हैं और जब चाहें उसकी सहमति के विषय में उससे बात कर सकते हैं। " महिला से अनुरोध किया गया है कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक पटना में रहे।

     न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस समय के दौरान शहर में कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है और उसके परिवहन के लिए व्यवस्था करने के लिए CNLU रजिस्ट्रार का निर्देश दिया गया है।

    बेंच ने मीडिया को किसी भी समाचार वस्तु को प्रकाशित करने के खिलाफ चेतावनी दी जो महिला या उसके माता-पिता की प्रतिष्ठा को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेगी। हालांकि यह स्पष्ट किया गया कि मीडिया महिला या उसके माता-पिता के नाम को छापे बिना अदालत की कार्यवाही पर रिपोर्ट करने के लिए स्वतंत्र होगा।

    समाचार रिपोर्ट पर संज्ञान लिया 

     अदालत ने दोनों की खौंफ के समाचार रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया था।  खंडपीठ ने सोमवार को कहा , "हमने लेख में दिए गए संबंधित मुद्दे को देखते हुए इस मुद्दे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मामला का संज्ञान ले लिया है और ये  इस मामले के संज्ञान लेने के लिए आधार बनाया गया है।”

    इसलिए पुलिस को मंगलवार को 2:15 बजे महिला को मुख्य न्यायाधीश के कक्ष में प्रस्तुत  करने का निर्देश दिया था।

    इस दौरान कोर्ट ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पटना को कम से कम दो महिला अधिकारियों समेत एक पुलिस टीम का गठन करने का निर्देश दिया था।

    इसने मामले में अमिक्स क्यूरी के रूप में वकील अनुकृति जयपुरिया को नियुक्त किया था। हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया था, "हमारे सामने रखी गई रिपोर्ट में उपलब्ध सामग्री की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हम इस मामले में कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पटना को निर्देशित करने के लिए बाध्य हैं और हम वर्तमान में इस मामले से निपटने वाले जिले के पुलिस अधिकारियों की सहायता लेने के इच्छुक नहीं हैं।”

    प्राधिकरण से निरंतर निराशा के बाद आशा की किरण 

    न्यूज़ सेंट्रल रिपोर्ट के मुताबिक, खगरिया जिले के एक जिला और सत्र न्यायाधीश के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, जिसने सुप्रीम कोर्ट के वकील के साथ  रिश्ते को अस्वीकार करने के बाद अपनी बेटी को घर गिरफ्तार कर रखा है। मामले की जानकारी मिलने पर, महिला को, जो पटना में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू) से कानून स्नातक हैं, कथित तौर पर उनके परिवार द्वारा खगरिया में उनके निवास में मारापीटा गया और कैद कर लिया गया था।

    इन संबंधों की परिवार को उस वक्त जानकारी हुई जब महिला को दिल्ली न्यायिक सेवा परीक्षा देने के  5 मई को जाना था लेकिन एक दिन पहले उसकी मां ने दोनों को बातचीत करते हुए देख लिया।

    इसके बाद उसके माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट वकील के साथ मौखिक रूप से दुर्व्यवहार किया और कथित रूप से उन्हें दो बार कॉल की जब वे अपनी बेटी को मार रहे थे ताकि वह उसकी चिल्लाहट और रोने को सुन सके।

     वकील ने 25 मई को उसके माता-पिता से भी मुलाकात की लेकिन जज ने कहा कि बाद में उन्हें अंतर-जाति विवाह में कोई समस्या नहीं है, लेकिन उसे लड़की से मिलने की अनुमति या केवल तभी शादी होगी जब वह न्यायाधीश बन जाए या सिविल सेवक। उसके द्वारा आश्वासन दिया गया कि वह एक वकील के रूप में जारी रखते हुए उनकी बेटी का समर्थन कर सकता है लेकिन ये भी बात उनके बहरे कानों कर नहीं पहुंची। उसे सत्यापन के लिए अपने परिवार के सदस्यों के नाम साथ-साथ उनके व्यवसाय के बारे में  लिखने के लिए भी कहा गया था।

     रिपोर्टों के मुताबिक, दोनों ने तब से कई अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ।सुप्रीम कोर्ट

    वकील ने महिला की तरफ से राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) से संपर्क किया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। उसने सुप्रीम कोर्ट  के समक्ष एक हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया गया था कि वह “ उसे लड़की की कस्टडी नहीं दे सकता।”

     महिला ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी, एनसीडब्ल्यू अध्यक्ष रेखा शर्मा, बिहार डीजीपी केएस द्विवेदी और बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्य सविता नटराजन को भी ईमेल किया था, लेकिन उन्हें इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके अलावा रुबी कुमारी नामक एक सरंक्षण अधिकारी ने 20 जून को दिए गए बयान को दर्ज करने से इनकार कर दिया। उसी अधिकारी ने कथित तौर पर उसे पहले के अवसर पर अपनी शिकायत वापस लेने में मनाने का प्रयास किया था।

    इसीलिए एक न्यायाधीश होने के नाते महिला के पिता पर अधिकारियों पर अपना प्रभाव डालने का आरोप लगाया गया है जो महिला की मदद कर सकते थे। हालांकि  इस मामले के बारे में स्वत: संज्ञान लेकर उच्च न्यायालय ने अब जोड़े को आशा की एक नई किरण प्रदान की है।


     
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