‘हमारी गलती यह है कि हम प्रौढ़ होने को परिपक्व होना समझ लेते हैं”; केरल हाईकोर्ट ने बच्चों के 18 साल के होने के बाद माँ-बाप की इच्छाओं की अनदेखी करने पर अफ़सोस जताया [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

23 Jun 2018 3:36 PM GMT

  • ‘हमारी गलती यह है कि हम प्रौढ़ होने को परिपक्व होना समझ लेते हैं”; केरल हाईकोर्ट ने बच्चों के 18 साल के होने के बाद माँ-बाप की इच्छाओं की अनदेखी करने पर अफ़सोस जताया [निर्णय पढ़ें]

    केरल हाईकोर्ट ने हाल ही में बच्चों के वयस्क होने पर माँ-बाप की इच्छाओं के प्रति अनादर दिखाने पर अफ़सोस जताया और कहा कि “एक समाज के रूप में हम प्रौढ़ होने को परिपक्व होना समझ लेते हैं”।

    न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अशोक मेनन की पीठ ने एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। इस महिला ने अपनी याचिका में अपने पति से सुरक्षा की मांग की है जिससे उसने अपने माँ-बाप की मर्जी के खिलाफ शादी की थी।

    याचिकाकर्ता एक 18 वर्षीय युवती है जो बीए (अंग्रेजी साहित्य) की छात्र है और बालिग़ होने के बाद उसने अपने पड़ोसी से शादी कर ली थी। शुरू में उसके माँ-बाप ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी पर बाद में उन्होंने इन दोनों की शादी करा दी थी। हालांकि इस लड़की को शीघ्र ही यह पता चला कि उसका पति नशीली दवाएं लेने का आदी है और वह उसको शारीरिक यातनाएं भी देता था। इसके बाद याचिकाकर्ता अपने माँ-बाप के पास आ गई और अब अपने पति से सुरक्षा की कोर्ट से मांग की है।

    मामले के तथ्यों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और इस तरह के मामले समाज में काफी हो रहे हैं। हम इस बारे में कुछ मत व्यक्त करने के लिए बाध्य हैं विशेषकर तब जब बंदी प्रत्यक्षीकरण और पुलिस सुरक्षा मांगने के इतने सारे मामले आ रहे हों और युवतियां अपने माँ-बाप की इच्छाओं को नजरअंदाज करते हुए ऐसे व्यक्ति के साथ रहने के लिए चली जाती हैं जिसके बारे में वे कहती हैं, उनको उससे प्यार हो गया है।

    हमारे पास ऐसे मामले बार बार आते रहते हैं जब इस अदालत में पेश होने वाले बच्चे अपने ही माँ-बाप की बात नहीं सुनते और अपनी पसंद के लड़के के साथ शादी कर लेने के बाद उनसे बात तक करना पसंद नहीं करते।”

    इसके बाद यह बताये जाने पर कि उसका पति अब एर्नाकुलम में रहता है, कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह जिला पुलिस प्रमुख को इस आदेश की एक प्रति भेजे –“अगर याचिकाकर्ता किसी भी दारोगा के समक्ष कोई शिकायत करती है जिसके क्षेत्र में वह उस समय रह रही है, तो वह इस याचिकाकर्ता की तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।”


     
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