CLAT 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत निवारण समिति के सुझावों के अनुरूप एनयूएएलएस से उन छात्रों को अतिरिक्त अंक देने को कहा जिनके समय नष्ट हुए [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

13 Jun 2018 12:01 PM GMT

  • CLAT 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत निवारण समिति के सुझावों के अनुरूप एनयूएएलएस से उन छात्रों को अतिरिक्त अंक देने को कहा जिनके समय नष्ट हुए [निर्णय पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट के अवकाशकालीन पीठ के न्यायाधीश यूयू ललित और दीपक गुप्ता ने CLAT-2018 की परीक्षा में कुप्रबंध और तकनीकी गड़बड़ी के बारे में दायर एक याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए अनेक दिशानिर्देश जारी किए। पीठ ने एनयूएएलएस को निर्देश दिया है कि  वह उन छात्रों को अतिरिक्त अंक दे जिनका परीक्षा में कुप्रबंध और तकनीकी गड़बड़ियों के कारण समय नष्ट हुआ जिसकी पहचान शिकायत निवारण समिति ने की है। पीठ ने संशोधित सूची को 16 जून तक वेबसाइट पर प्रकाशित करने को कहा है।

     निर्देश

    A).वरिष्ठ वकील वी गिरी के सुझाव के अनुसार सभी 4690  छात्रों के प्राप्तांकों का संशोधन 15 जून तक पूरा कर लिया जाए। प्रतिवादी नंबर एक और दो (एनयूएएलएस, कोच्ची और कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट 2018 की कोर कमिटी) अपने कन्वेनर - (एनयूएएलएस, कोच्ची के वाइस चांसलर के माध्यम से इस कार्य को 15 जून तक पूरा कर लेंगे।

    B). इस कार्य के पूरा होने के बाद इस संशोधित प्राप्तांकों के साथ नई सूची को प्रतिवादी नंबर दो और तीन 16 जून को आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित कर देंगे।

    C). इस संशोधित सूची के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार होगी और संबधित छात्रों के रैंक 51A-51B के माध्यम से दिखाया जाएगा, जैसा कि कमिटी ने सुझाव दिया है।

    D). पहले चरण की काउन्सलिंग जो की 10  जून 2018 को शुरू हुई वह जारी रहेगी और किसी उम्मीदवार को कोई सीट आवंटित किया जाता है तो किसी अन्य छात्र को संशोधित सूची में दिए गए रैंक का इस पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए।

    E). अगर 4690 में से किसी भी उम्मीदवार को कोई रैंक संशोधित सूची के बिना ही प्राप्त होता है तो उस पर संशोधित सूची का कोई असर नहीं पड़ना चाहिए।

    F). काउन्सलिंग के दूसरे चरण में जो रैंक/मेरिट लिस्ट तैयार होगी वह प्रशासनिक सूची होगी और दूसरे और इसके बाद होने वाली काउन्सलिंग में सीटों का आवंटन संशोधित की गई सूची के अनुरूप होगी।

    G). दूसरे और इसके बाद होने वाले काउन्सलिंग में संशोधित रैंक के परिणामस्वरूप अगर कोई उम्मीदवार संशोधित सूची में अपने स्थान के अनुरूप अपनी पसंद के किसी कॉलेज में प्रवेश लेना चाहता है तो उसे ऐसा करने की अनुमति होगी और उसको इसके लिए कोई घाटा नहीं होना चाहिए। ऐसे मामलों में अगर पहले किसी कॉलेज में कोई फीस जमा कराया गया है तो उसको पूरा पैसा मिलेगा।

     सोमवार को एनयूएएलएस के वकील वी गिरी ने छात्रों को राहत दिलाने वाले फॉर्मूले के बारे में बताया जिसे कुछ सांख्यिकीविदों ने सुझाया था। याचिकाकर्ता अनिमेष शुक्ला के मामले को ही अगर लिया जाए तो परीक्षा 7000  सेकेण्ड में पूरी होनी थी और ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार 538 सेकेण्ड की क्षति हुई। छात्रों को कुल 172 प्रश्नों के जवाब देने थे, सही जवाब वाले प्रश्नों की संख्या 125 है और स्कोर 113 है। इस आधार पर यह तह करने की कोशिश की गई है कि  नष्ट हुए समय में छात्र कितने प्रश्नों के उत्तर दे सकते थे और उस आधार पर उनके प्राप्तांक को संशोधित किया जाएगा।

     गिरी ने कोर्ट से कहा कि मान लीजिए कि किसी छात्र को 115  रैंक आया और वह एनएलयू जोधपुर में प्रवेश लेना चाहता है। संशोधित रैंक के मुताबिक़ किसी अन्य छात्र को भी 115A, 115B, 115C आदि रैंक आया तो उस स्थिति में कॉलेज में अतिरिक्त सीट उपलब्ध करानी होगी क्योंकि इस बारे में कोई वैधानिक प्रावधान नहीं है।

     कोर्ट ने कहा, “हम ऐसा तब तक नहीं करेंगे जबतक इसके लिए बाध्य न कर दिए जाएं ... एनएलएसयूआई बैंगलोर पहली काउन्सलिंग के बाद 60 -80  छात्रों को भर्ती करता है, पांच सीट बच जाता है, इसके बाद दूसरी मेरिट लिस्ट सामान्य रूप से आगे बढ़ेगा…” कोर्ट ने कहा।


     
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