कपिल मिश्रा हाईकोर्ट गए, कहा - एलजी और स्पीकर यह सुनिश्चित करें कि मुख्यमंत्री सदन में उपस्थित हों; विधायकों को वेतन तभी मिले जब सदन में उनकी मौजूदगी 50 % हो [याचिका पढ़े]
LiveLaw News Network
11 Jun 2018 8:21 PM IST
आम आदमी पार्टी के बागी नेता कपिल मिश्रा ने दिल्ली विधानसभा से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की अनुपस्थिति को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मिश्रा ने आरोप लगाया है की केजरीवाल की सदन में उपस्थिति 10% से भी कम रही है और कोर्ट से मांग की है कि वह दिल्ली के उपराजयपाल को निर्देश देकर विधानसभा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति सुनिश्चित करें। अपनी याचिका में मिश्रा ने कहा है कि विधायकों को वेतन तभी दिया जाए जब सदन में उनकी उपस्थिति 50 % हो।
यह मामला न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए मंगलवार को आया।
एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने मिश्रा की ओर से अदालत में दलील पेश की और कहा कि ऐसे समय में जब दिल्ली भारी जल संकट का सामना कर रहा है, मुख्यमंत्री जो कि जल मंत्री भी हैं, काफी समय से सदन से अनुपस्थित हैं।
याचिका में मांग की गई है की अदालत उपराजयपाल को यह निर्देश दे कि वह विधानसभा में मुख्यमंत्री की उपस्थिति को सुनिश्चित कराएं ताकि जनहित से जुड़े सवालों का वे जवाब दे सकें।
याचिका में कहा गया है कि विधायकों को काफी अच्छा वेतन दिया जाता है और 2016 में इनके वेतन में सदन में बिना किसी बहस के 400% का इजाफा किया गया.
पिछले साल दिल्ली विधानसभा के 27 सत्र हुए पर मुख्यमंत्री जो कि जल मंत्री भी हैं, सिर्फ 7 सत्रों में ही मौजूद रहे। यह कहने की जरूरत नहीं है कि दिल्ली भारी जल संकट से गुजर रहा है। पिछले 40 महीनों में मुख्यमंत्री प्रश्नोत्तर काल के दौरान कभी भी सदन में उपस्थित नहीं रहे। यह साबित करता है कि मुख्यमंत्री दिल्ली के लोगों की समस्याओं के प्रति कितना गंभीर हैं।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा है कि मुख्यमंत्री अगस्त 2017 के मानसून सत्र में सदन से अनुपस्थित थे जबकि उस दौरान सदन में न्यूनतम वेतन विधेयक को पेश किया जाना था। इसे दिल्ली विधानसभा ने पास कर दिया पर केंद्र ने इसे कुछ कमियों की वजह से लौटा दिया। अक्टूबर 2017 में मुख्यमंत्री विशेष सत्र से अनुपस्थित रहे जबकि इस सत्र को मेहमान शिक्षकों के मुद्दे पर गौर करने के लिए बुलाया गया था।
जनवरी 2018 में मुख्यमंत्री विशेष सत्र से ग़ायब थे जबकि मार्च में वे बजट सत्र में नहीं दिखे। ऐसा दिल्ली सरकार के इतिहास में कभी नहीं हुआ था।
जून 2018 में भी केजरीवाल विशेष सत्र से ग़ायब थे जबकि 6 से 10 जून के बीच आयोजित इस सत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने पर बहस होनी थी।