मद्रास हाईकोर्ट ने विरोध कर रहे लोगों से कहा, जातियों या समुदायों के नाम पर होटलों का नाम रखना गैरकानूनी नहीं [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
10 Jun 2018 1:20 PM GMT
मैं अपनी बात बताऊँ, मैं अपने कॉलेज के दिनों में खाना खाने के लिए पांडिचेरी के रेड्डियार मेस में जाया करता था, जज ने कहा।
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि जातियों और समुदायों के नाम पर होटलों का नामकरण करने में कुछ भी अस्वाभाविक और गैरकानूनी नहीं है और ऐसा करना उस होटल के मालिक का मौलिक अधिकार है।
न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने पेरियार द्रविड़ कषगम के कार्यकर्ता की याचिका पर गौर करते हुए यह बात कही। इस याचिका में ‘श्री कृष्णा अय्यर परमबरिया ब्रमनल कैफ़े’ के खिलाफ आयोजित प्रतिरोध के खिलाफ दायर आपराधिक मामलों को निरस्त करने की मांग की गई है।
फैसले में कोर्ट ने कहा कि विरोध करने वालों को यह गलत धारणा थी कि होटल का मालिक अपने होटल का नाम जाति के नाम पर रखकर कोई गैरकानूनी काम कर रहा है।
विरोध करने वालों को पाखंडी बताते हुए जजों ने कहा, “मदुरै में जहां यह पीठ स्थित है, वहाँ होटलों के नाम जातियों और समुदायों पर हैं। ‘कोनार मेस’ और ‘मुदलियार इडली कढ़ाई’ इसके दो बहुत ही लोकप्रिय उदाहरण हैं। मैं अपनी बात बताऊँ, कॉलेज के दिनों में मैं खाने के लिए नियमित रूप से रेड्डियार मेस में जाया करता था। हाईवे से जाते हुए हम सैकड़ों बेकरी और कॉफ़ी शॉप देखते हैं जो आयंगर बेकरी के नाम से जाना जाता है। इस अदालत का मानना है कि संवैधानिक बोलचाल में इस मामले को वाणिज्यिक बहस कहा जाता है।”
कोर्ट ने आगे कहा की जिस प्रोपराइटर की बात की जा रही है वह अपने होटल का कुछ भी नाम रखने के लिए स्वतंत्र है - वह चाहे तो इसका नाम अपनी जाति के नाम पर रख सकता है और उसका यह अधिकार मौलिक अधिकार के तहत आता है।
कोर्ट ने आगे कहा कि विरोध करने वालों के इस कथन में कोई दम नहीं है की उक्त होटल में छूआछूत होता है और सिर्फ ब्राह्मणों को ही जाने दिया जाता है। अगर ऐसी बात है तो यह क़ानून के तहत एक स्पष्ट अपराध होगा और यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
कोर्ट ने कहा कि यद्यपि विरोधकर्ताओं के खिलाफ मामला बनता है पर यह देखते हुए कि यह एक विरोध और बल के सांकेतिक प्रयोग का प्रदर्शन था, वास्तव में कोई हिंसा नहीं की गई, और यह भी कि ये लोग पहले ही जेल में तीन सप्ताह बिता चुके हैं और यह मामला चार साल से ज्यादा पुराना है, इसलिए इनके खिलाफ आपराधिक मामले को खारिज कर दिया।