Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य सुर्खियां

किसी मेडिकल कॉलेज की जांच के लिए न्यूनतम स्तर का निर्धारण गैर-कानूनी नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
3 Jun 2018 4:02 PM GMT
किसी मेडिकल कॉलेज की जांच के लिए न्यूनतम स्तर का निर्धारण गैर-कानूनी नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]
x

सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया बनाम वेदांता इंस्टिट्यूट ऑफ़ अकादमिक एक्सीलेंस प्राइवेट लिमिटेड मामले में कहा है कि मेडिकल कॉलेज अगर यह चाहता है कि  उसकी नए सिरे से जांच हो तो इसके लिए जरूरी है कि इसके लिए एक न्यूनतम मानदंड तय किए जाएं और यह मेडिकल काउंसिल अधिनियम, 1956 के प्रावधानों के खिलाफ नहीं है।

वर्तमान मामले में एक मेडिकल कॉलेज की जांच का दुबारा आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने कहा की मेडिकल कॉलेज स्थापना विनियमन, 1999 का विनियमन 8(3)(1) प्रावधान (a) मेडिकल कॉलेज पर लागू नहीं होता।  यह सिर्फ उन्हीं कॉलेज पर लागू होंगे जो की दूसरी बार रिन्यूअल यानी तीसरे बैच का एडमिशन चाहते हैं।

इस तरह की व्याख्या को गलत बताते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव  और न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदार की पीठ ने कहा कि पहला रिन्यूअल भी विनियमन 8(3)(1) प्रावधान (a) के तहत आता है क्योंकि इसमें लिखा है “दूसरे रिन्यूअल तक।”

पीठ ने कहा, “... विनियमन 8(3)(1) में यह प्रावधान है कि  मेडिकल कॉलेजों को अपनी खामियों को ठीक करने का मौक़ा दिया जाना चाहिए।  लेकिन प्रावधान में यह भी कहा गया है कि कुछ न्यूनतम मानदंडों पर खड़ा उतरना होगा, जैसे कि शैक्षणिक फैकल्टी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए … ”

एमसीआई की अपील को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा कि  जांच रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर कमी को देखते हुए कॉलेज दूसरी जांच की सुविधा प्राप्त करने के हकदार नहीं हैं।  कोर्ट ने कहा कि जब कोई विशेषज्ञ निकाय यह स्पष्ट करता है कि किसी मेडिकल कॉलेज में सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं, तो फिर कोर्ट उस आकलन में कोई दखल नहीं दे सकता, बशर्ते की जांच टीम की गलत मंशा, जांच में कोई सीधे सीधे गड़बड़ी, एमसीआई की ओर  से कोई न्यायिक गलती आदि न दिखे।


 
Next Story