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पत्नी को पति के वेतन की जानकारी का हक, MP हाईकोर्ट ने CIC के आदेश को बरकरार रखा [आर्डर पढ़े]
![पत्नी को पति के वेतन की जानकारी का हक, MP हाईकोर्ट ने CIC के आदेश को बरकरार रखा [आर्डर पढ़े] पत्नी को पति के वेतन की जानकारी का हक, MP हाईकोर्ट ने CIC के आदेश को बरकरार रखा [आर्डर पढ़े]](http://hindi.livelaw.in/wp-content/uploads/2018/05/salary-money-notes.png)
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने केन्द्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा है कि एक पत्नी को यह जानने का हक है कि उसके पति को क्या पारिश्रमिक मिल रहा है।
इस मामले में पत्नी ने अपने पति से रखरखाव की मांग करने के लिए याचिका दायर की थी जिसमें उसने आरोप लगाया था कि, दूरसंचार विभाग (बीएसएनएल) में एक उच्च अधिकारी के रूप में, उसका पति प्रति माह 2,25,000 रुपये से अधिक वेतन ले रहा है।
उसने आरटीआई के माध्यम से बीएसएनएल से इस जानकारी की मांग की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया था। मुकदमेबाजी के कुछ दौर के बाद मामला केन्द्रीय सूचना आयोग तक पहुंचा, जिसने सूचना के अधिकार के अनुपालन के लिए बीएसएनएल पर सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 4 (1) (बी) (एक्स) के तहत सार्वजनिक डोमेन पर पारिश्रमिक के बारे में जानकारी देने का आदेश पारित किया ।
पति और उनके नियोक्ता बीएसएनएल ने सीआईसी आदेश को चुनौती देने के लिए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल की। एकल पीठ ने सीआईसी आदेश को रद्द कर दिया जिसमें गिरीश रामचंद्र देशपांडे बनाम केंद्रीय सूचना आयुक्त और अन्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया गया। उल्लिखित मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी ज्ञापनों की प्रतियां, कारण बताओ नोटिस और सेंस्यॉर / सजा, संपत्ति, आयकर रिटर्न, प्राप्त उपहारों के विवरण इत्यादि के आदेश सार्वजनिक कर्मचारी द्वारा व्यक्तिगत जानकारी बताया जो क्लॉज (जे ) आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) के तहत आती है।
पत्नी द्वारा दायर याचिका में न्यायमूर्ति एसके सेठ और न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की पीठ के समक्ष मुद्दा यह था कि क्या मांगी गई जानकारी को अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) के तहत छूट दी गई है या इसे धारा 4 (1) द्वारा कवर किया गया है। (बी) (X) सार्वजनिक प्राधिकरणों को सार्वजनिक डोमेन पर अपने प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारियों द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक पर प्रदर्शित करने के लिए बाध्य करता है। यह तर्क दिया गया था कि यह एक व्यक्तिगत जानकारी है जिसका प्रकटीकरण किसी भी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है और ये कर्मचारी की निजता के अनचाहे खलल का कारण बनता है।
हालांकि पीठ ने कहा : अधिनियम की धारा 8 (1) (जे) से निपटने के दौरान, हम इस तथ्य को नकार नहीं सकते कि अपीलकर्ता और उत्तरदाता संख्या 1 पति और पत्नी हैं और एक पत्नी के रूप में वह ये जानने की हकदार है कि उत्तरदाता संख्या 1 क्या पारिश्रमिक प्राप्त कर रहा है।
अदालत ने रिट अपील की अनुमति दी और सीआईसी आदेश को बरकरार रखा, एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।