"ये हत्या का स्पष्ट मामला है": वकील जीएस मनी ने थूथुकुडी फायरिंग की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network

24 May 2018 2:55 PM GMT

  • ये हत्या का स्पष्ट मामला है: वकील जीएस मनी ने थूथुकुडी फायरिंग की सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की [याचिका पढ़े]

    थूथुकुडी में स्टर्लाइट कॉपर प्लांट के खिलाफ विरोध के दौरान पुलिस फायरिंग में 11 लोगों की मौत के मामले में  सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मनी ने अब सुप्रीम कोर्ट में  एक याचिका दायर की है और थूथुकुडी कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य पुलिस अधिकारियों  के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत FIR दर्ज करने की मांग की है।मनी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा इस घटना की जांच की मांग की है और अदालत से इसकी निगरानी करने का आग्रह किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने आगे मांग की है कि तमिलनाडु में तुतीकोरिन, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी जिलों में इंटरनेट सेवाएं बहाल की जाएं क्योंकि उसे घटना के बाद निलंबित कर दिया गया था।

     याचिका में आरोप लगाया गया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडीप्पाडी के प्लानीस्वामी द्वारा निर्देशित घटना की जांच "केवल आईवॉश” है।

    इसमें आगे प्रस्तुत किया गया है कि फायरिंग में  मारे गए लोगों के परिवार के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा  "केवल जनता को खुश करने के लिए और निर्दोष नागरिक की हत्या के गंभीर अपराध से बचने के लिए" है।

     इसके बाद यह इंगित करता है कि गोलीबारी की बजाए पुलिस मशीनरी को कलेक्टरेट पहुंचने से पहले प्रदर्शनकारियों को प्रभावी ढंग से रोकना चाहिए था।

    इसके अलावा इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि पुलिस अधिकारियों ने अब फायरिंग का आदेश देने वाले अधिकारी को फोन करने से इंकार कर दिया है।

     याचिका में पुलिस अधिकारियों के दावे को खारिज किया गया है कि सीआरपीसी की धारा 144 के बावजूद प्रदर्शनकारियों के हिंसा में शामिल होने के बाद गोलीबारी जरूरी थी और दावा किया कि यह "पुलिसकर्मियों द्वारा की गई

    पूर्व-योजनाबद्ध हत्या है जिसमें उच्च स्तरीय पुलिस अधिकारी और जिला प्रशासन अर्थात् जिला एसपी और जिला कलेक्टर ने मदद की।”

    इसके बाद घटना में सीबीआई जांच की मांग करते हुए याचिका में तर्क दिया गया है कि राज्य पुलिस वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की भागीदारी के कारण घटना की सही और निष्पक्ष जांच करने में सक्षम नहीं होगी। इसमें मांग की गई है, "... तूतीकोरिन जिले में 10 लोगों की पुलिस फायरिंग में हत्या एक प्रभावशाली राज्य पुलिस अधिकारी और तत्कालीन जिला कलेक्टर द्वारा उत्तरदायी राज्य की मदद से की गई है।

    यह हत्या का एक स्पष्ट मामला है । इसलिए यह  जरूरी है कि यह माननीय न्यायालय उत्तरदायी सीबीआई को पुलिस अधीक्षक, तूतीकोरिन जिला, तत्कालीन जिला कलेक्टर और अन्य अज्ञात व्यक्ति या पुलिस अधिकारी के खिलाफ धारा 302 आईपीसी के तहत नकली मुठभेड़ या हत्या का मामला दर्ज करने के लिए आदेश दे जो इसके लिए ज़िम्मेदार हैं और इस माननीय न्यायालय के समक्ष एक मुहरबंद में एक स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए निर्देशित करें।

    यह माननीय न्यायालय उत्तरदायी सीबीआई द्वारा की वाली जांच की निगरानी करे क्योंकि पुलिस अधिकारी और जिला कलेक्टर इस अपराध में शामिल है और जांच को प्रभावित करने और साक्ष्य से छेड़छाड़ करने का उनके पास एक मौका है। "

    इसके अलावा याचिका न्यायालय के लिए  फायरिंग में मारे गए लोगों के परिवारों को 50 लाख रुपये और  गंभीर रूप से घायल हो गए लोगों को 25 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश देने के लिए उपयुक्त मानती है।

    बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच ने वेदांत को अपने स्टरलाइट कॉपर प्लांट के यूनिट II के निर्माण को रोकने के निर्देश दिए थे। न्यायालय ने निर्देश दिया कि वेदांत द्वारा प्रस्तुत पर्यावरण प्रमाणपत्र (ईसी) के नवीनीकरण के आवेदन को अनिवार्य सार्वजनिक सुनवाई के बाद शीघ्रता से संसाधित किया जाएगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे आवेदन को चार महीने की अवधि के भीतर तय करें, यानी 23 सितंबर को या उससे पहले। तब तक  संयंत्र में निर्माण रोक दिया गया है।


     
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