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3 महीने के भीतर ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं पर रिपोर्ट जमा करें: राज्य ट्रांसजेंडर कमेटी को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने निर्देश दिया [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
24 May 2018 8:42 AM GMT
3 महीने के भीतर ट्रांसजेंडर समुदाय की समस्याओं पर रिपोर्ट जमा करें: राज्य ट्रांसजेंडर कमेटी को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने निर्देश दिया [निर्णय पढ़ें]
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गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य ट्रांसजेंडर समिति को ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं के गहन अध्ययन करने और राज्य सरकार द्वारा उनकी समस्याओं को सुधारने के लिए उठाए जा सकने वाले उपायों का सुझाव संबंधी रिपोर्ट दाखिल करने निर्देश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश अजित सिंह और न्यायमूर्ति सुमन श्याम की बेंच ने इस समिति के लिए  रिपोर्ट जमा करने के लिए  तीन महीने की सीमा निर्धारित की है और राज्य को राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ (2014) 5 एससीसी 438  मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रकाश में सिफारिशों की जांच करने का निर्देश दिया है।

 अदालत स्वाति बिधान बरुआ द्वारा दायर याचिका सुन रही थी, जो ट्रांसजेंडर हैं और ऑल आसाम  ट्रांसजेंडर एसोसिएशन की संस्थापक हैं। उन्होंने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण और सुधार के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के लिए राज्य को निर्देश जारी करने  प्रार्थना की थी। उन्होंने आगे NALSA मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कार्यान्वयन के लिए प्रार्थना की थी, जिसमें अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को ट्रांसजेंडर को तीसरी श्रेणी के रूप में पहचान देने और सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लाभ प्रदान करने के निर्देश दिए थे। अपने आदेश में अदालत ने नोट किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद, "राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडर के अधिकारों की सुरक्षा के लिए उल्लेखनीय कदम नहीं उठाया है।”

 यह सूचित किया गया कि अदालत से नोटिस प्राप्त करने के बाद ही राज्य ने याचिकाकर्ता सहित वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य लोगों की एक कोर कमेटी बनाई, जिसमें समुदाय द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों को देखने के लिए कहा गया है। तब राज्य को इस समिति द्वारा सिफारिशों की जांच करने और छह महीने के भीतर लागू करने के लिए निर्देशित किया गया था।


 
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