चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, फेसबुक, याहू, माइक्रोसॉफ्ट, व्हाट्सएप पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया [आदेश पढ़ें]

LiveLaw News Network

21 May 2018 9:04 AM GMT

  • चाइल्ड पोर्नोग्राफी और रेप वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने गूगल, फेसबुक, याहू, माइक्रोसॉफ्ट, व्हाट्सएप पर एक-एक लाख का जुर्माना लगाया [आदेश पढ़ें]

    सुप्रीम कोर्ट ने याहू, फेसबुक आयरलैंड, फेसबुक इंडिया, गूगल इंडिया, गूगल Inc., माइक्रोसॉफ्ट और व्हाट्स ऐप पर 1-1लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। ये जुर्माना यौन हिंसा और चाइल्ड पोर्नोग्राफी  वीडियो के मामले में दिए गए निर्देशों का पालन करने में नाकाम रहने के लिए लगाया गया है।

    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले के आदेश में सोशल मीडिया दिग्गजों और माइक्रोसॉफ्ट को उनके द्वारा स्वीकार की गई सिफारिशों के अनुसार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर प्रगति के बारे में बताने की आवश्यकता बताई थी।

    इन संस्थाओं में से किसी ने भी हमें प्रगति दिखाने के लिए कुछ भी दायर नहीं किया है और न ही इनमें से कोई भी संस्था हमारे उपरोक्त आदेश के अनुसार किसी भी प्रतिक्रिया देने को तैयार है। हम इन संस्थाओं को 15 जून, 2018 को या उससे पहले एक हलफनामा दायर करने के लिए निर्देशित करते हैं, जो हमें हालात के बारे में स्टेटस रिपोर्ट के बारे में बताए, बेंच ने इन इकाइयों को शपथ पत्र के साथ 1- 1 लाख रुपये बतौर जुर्माना जमा करने को कहा है।

     MHA को और समय दिया    

    केंद्र सरकार ने प्रस्तुत किया कि ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल अपने अंतिम रूप में 15 जुलाई, 2018 को या उससे पहले लॉन्च किया जाएगा। यह भी कहा गया है कि सीसीटीएनएस के साथ पोर्टल एकीकरण में लगभग दो महीने का समय लग सकता है और गृह मंत्रालय इस संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय स्थापित किए हुए है।

      हम पाते हैं कि काम की एक बड़ी मात्रा अभी भी बनी हुई है। हमारी राय में  इन कार्यों को पूरा करने और अन्य कार्यों को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय ने पर्याप्त  से अधिक समय लिया है। ये टिप्पणी करते हुए पीठ ने 30 जून, 2018 को या उससे पहले कार्यों को पूरा करने के लिए गृह मंत्रालय को आगे का समय दिया है।

    पृष्ठभूमि

    सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ-प्रज्जवला के एक पत्र के आधार पर स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए एक समिति गठित की थी, जिसमें इंटरनेट और व्हाट्सएप के माध्यम से यौन हिंसा के वीडियो प्रचूर मात्रा में प्रसारित किए जा रहे थे। समिति ने दो खंडों में एक व्यापक रिपोर्ट दायर की और अदालत ने नोट किया कि 11 प्रस्ताव थे जिन पर समिति के सदस्यों के बीच समझौता हुआ है। अदालत द्वारा नियुक्त अजीत कुमार समिति की 11 सिफारिशों को लागू करने के लिए सरकार सहित पक्षकारों से पूछा गया था, जो बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बाल अश्लील वीडियो को हटाने के लिए व्हाट्सएप, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, Google, याहू इत्यादि के साथ समन्वय कर रहा है।


     
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