सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने "पाक मुस्लिम लीग जैसे झंडे फहराने” पर बैन लगाने वाली याचिका को दूसरी पीठ के पास भेजा
LiveLaw News Network
14 May 2018 3:16 PM IST
सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने आज कहा कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी द्वारा दायर याचिका "एक और खंडपीठ सुनेगी,” जिसमें पाकिस्तान के मुस्लिम लीग की तरह भारतीय इमारतों और देश में धार्मिक स्थानोंपर चांद और तारों वाले हरे रंग के झंडे लगाने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
याचिका को न्यायमूर्ति एन वी रमना और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की एक पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था लेकिन पीठ ने बिना कोई कारण बताए कहा कि इसे दूसरी पीठ सुनेगी।
याचिकाकर्ता ने इस तरह के ध्वजों को "गैर-इस्लामी" करार दिया है। सार्वजनिक हित की याचिका में दावा किया गया है कि हरे रंग की पृष्ठभूमि में चंद्रमा और तारे कभी इस्लामी अभ्यास का हिस्सा नहीं रहे हैं और इस्लाम में इसकी कोई भूमिका या महत्व नहीं है, "मुस्लिम-वर्चस्व वाले इलाकों में इस तरह के झंडे फहराए जा रहे हैं।
पीआईएल में “ दुश्मन देश" से संबंधित एक पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग के झंडे को फहराने वाले व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है।
रिजवी ने अपनी याचिका में दावा किया कि मुंबई और देश के अन्य स्थानों पर उनकी यात्रा के दौरान, उन्होंने कई इमारतों और धार्मिक संरचनाओं पर झंडे देखे, जो कथित तौर पर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव का कारण हैं।
याचिका ने आरोप लगाया कि झंडे पाकिस्तान मुस्लिम लीग के झंडे जैसा दिखते हैं, जो "दुश्मन देश" से संबंधित है। उन्होंने दावा किया कि हरे रंग के रंग में चांद तारे वाले झंडे का जन्म 1906 में नवाज वकार उल-मलिक और मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा स्थापित पूर्व राजनीतिक दल, मुस्लिम लीग के लिए हुआ था, लेकिन वर्तमान समय में इसका इस्तेमाल भारतीय मुस्लिमों द्वारा किया जा रहा है और वो इसे इस्लामी ध्वज के रूप में पेश कर रहे हैं। 1948 में स्थापित मुस्लिम लीग के झंडे में बाएं कोने में चांद और तारे थे। याचिका में कहा गया है कि पाकिस्तान, एक "दुश्मन देश" के रूप में, हमारे देश पर आतंकवादी हमलों की श्रृंखला और सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और प्रचार करने के लिए जिम्मेदार रहा है। उन्होंने दावा किया, "हमारा देश पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों द्वारा उनके आतंकवादी नेटवर्क के माध्यम से छिपे हुए हमलों के प्रति संवेदनशील है जो हमारे देश में बहुत सक्रिय है।” दावा किया गया है कि "गलत धारणा के तहत व्यक्तियों द्वारा दुश्मन के झंडे को फहराने पर सरकारी एजेंसियों का तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।" पीआईएल में कहा, "भारत सरकार इस सनसनीखेज मामले को देखने में पूरी तरह विफल रही है और इसलिए देश की प्रतिष्ठा और अखंडता खतरे में है।”
रिजवी ने कहा, "पाकिस्तान मुस्लिम लीग झंडे और अन्य झंडों के फहराने की कानून में अनुमति नहीं हैं और इस प्रकार ये याचिकाकर्ता और समाज के मौलिक अधिकारों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करते हैं।"