हाल के मामले के बारे में सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपी ने इस बारे में कुछ नहीं बताया है कि उसके पास नकली मुद्रा कहाँ से आई...पीठ ने कहा।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर किसी आरोपी के पास से सार्वजनिक स्थलों पर भारी मात्रा में नकली मुद्रा बरामद होती है तो यह माना जाएगा कि वह इसको असली मुद्रा के रूप में चलाना चाहता था।
आईपीसी की धारा 489B के तहत दोषी पाए जाने के खिलाफ दायर एक अपील में कहा गया कि अभियोजन ज्यादा से ज्यादा मुद्रा की बरामदगी की बात साबित कर सकता है पर यह साबित नहीं कर सकता कि उसे यह जानकारी थी कि यह नकली मुद्रा है और वह उसे असली मुद्रा के रूप में प्रयोग करना चाहता था।
मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान आरोपी ने सभी आरोपों से इनकार किया और यह नहीं बताया कि उसके पास इतनी मात्रा में नकली मुद्रा कहाँ से आई। हालांकि, साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अनुसार, इसके बारे में जानकारी देने के लिए वह बाध्य है।
“साक्ष्य अधिनियम की धारा 106 के अनुसार, तथ्यों को साबित करने की जिम्मेदारी...उस व्यक्ति की है। वर्तमान मामले में आरोपी ने इस बारे में कुछ भी नहीं बताया है कि उसके पास इतनी भारी मात्रा में नकली मुद्रा कहाँ से आई...उसके पास ये मुद्रा व्यवसाय के सामान्य क्रम में उसको मिला इसके बचाव में वह कुछ भी नहीं कह पाया है”, कोर्ट ने कहा।
इस तरह, यह मामला...करेंसी नोटों के सक्रिय कारोबार का है जो कि आईपीसी की धारा 489B के तहत आता है, और पीठ ने यह कहते हुए अपील खारिज कर दी।
कोर्ट ने रयब जुसब समा बनाम गुजरात राज्य मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले का संदर्भ भी दिया। इस फैसले में कहा गया था कि भारी मात्रा में नकली मुद्रा का बरामद होने का मतलब इसके सक्रिय कारोबार से है।