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नियुक्ति : सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network
14 May 2018 5:05 AM GMT
नियुक्ति : सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाया [आर्डर पढ़े]
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मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ ने वित्त अधिनियम में संशोधन की वैधता के फैसले के लंबित रहने के दौरान राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों का कार्यकाल यह सुनिश्चित करने के लिए बढ़ाया दिया है ताकि जब तक नई नियुक्तियां नहीं की जातीं, कामकाज सुचारू चल सके।

 मुख्य न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड की पीठ ने  कुदरत संधू  द्वारा दायर याचिका पर आदेश पारित किया।

आदेश

"  याचिकाकर्ता के लिए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और भारत संघ के लिए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल को सुना। के के वेणुगोपाल द्वारा यह सहमति हुई है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष को 30.6.2018 तक काम जारी रखने की अनुमति दी जाएगी और अन्य सदस्य के कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा नई नियुक्तियों तक जारी रहेंगे।

सदस्यों की ताजा नियुक्तियों को काफी तत्परता के साथ किया जाएगा। इस मामले को जुलाई, 2018 के तीसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करने दिया जाए।”

पिछले साल 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने एनसीडीआरसी सदस्यों के कार्यकाल को 15 मार्च तक बढ़ा दिया था और बाद में आदेश संशोधित किया और इसे 31 मई तक बढ़ा दिया। केंद्र ने इस आधार पर विस्तार पर सहमति व्यक्त की थी कि न्यायिक कार्य प्रभावित नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ता के लिए उपस्थित लूथरा ने प्रस्तुत किया कि या तो एनसीडीसीआर या मौजूदा सदस्यों व अध्यक्ष के कार्यकाल में नियुक्तियां की जाएंगी या उत्तराधिकारी नियुक्त किए जाने तक विस्तारित किया जाएगा।

केंद्र के लिए उपस्थित एजी के के वेणुगोपाल, लूथरा के सबमिशन से सहमत हुए और अदालत से कहा कि आयोग में रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया चल रही है।

 पृष्ठभूमि

वित्त अधिनियम और ट्रिब्यूनल, अपीलीय और अन्य प्राधिकरणों (योग्यता, अनुभव और सदस्यों की सेवा की अन्य स्थितियों) नियमों को चुनौती देने वाली सर्वोच्च न्यायालय में याचिकाओं  के कारण विभिन्न ट्रिब्यूनल में नियुक्तियां रोक दी गईं, जो नियुक्तियों, कार्यकाल और ऐसे पैनलों के पदाधिकारी की अन्य सेवा शर्तों से निपटती हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन, ईपीएफ ट्रिब्यूनल बार एसोसिएशन और कुदरत संधू सहित की अपीलों में आरोप लगाया गया है कि नए संशोधित वित्त अधिनियम ने ट्रिब्यूनल के अध्यक्षों व सदस्यों की खोज, चयन और हटाने की प्रक्रिया में  बदलाव किया है। याचिकाओं ने 'ट्रिब्यूनल, अपीलीय न्यायाधिकरण और अन्य प्राधिकरणों (योग्यता, अनुभव और सदस्यों की सेवा की अन्य स्थितियों) नियम, 2017' के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।


 
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