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दो उम्मीदवारों ने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवाओं के लिए उम्र सीमा घटाने को चुनौती दी; सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और हाई कोर्ट को जारी किया नोटिस [याचिका पढ़े]

LiveLaw News Network
12 May 2018 3:31 PM GMT
दो उम्मीदवारों ने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवाओं के लिए उम्र सीमा घटाने को चुनौती दी; सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और हाई कोर्ट को जारी किया नोटिस [याचिका पढ़े]
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सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवाओं की उम्र सीमा में कमी किये जाने के खिलाफ दो महिला उम्मीदवारों की याचिका पर शुक्रवार को मध्य प्रदेश और राज्य के हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा, नियम 2017 को चुनौती दी है।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर नोटिस जारी कर प्रतिवादियों को 16 मई को न्यायालय में पेश होने को कहा है।

याचिकाकर्ता रंजना और कविता ने मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा, नियम 2017 में पिछले प्रभाव से बदलाव करने को चुनौती दी है। इस बदलाव के द्वारा इस परीक्षा के लिए आयु की ऊपरी सीमा को 48 से घटाकर 45 कर दिया गया है।

इन उम्मीदवारों ने कहा है कि इस नियम से वे दोनों ही अतिरिक्त जिला जज की इस परीक्षा में बैठ नहीं सकतीं क्योंकि दोनों ही 45 साल की हैं।

मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा, नियम 1994 के अनुसार इस परीक्षा में ऐसे लोग बैठ सकते हैं जो की 35 साल उम्र सीमा को प्राप्त कर चुके हैं पर उस साल 1 जनवरी को 48 वर्ष के नहीं हुए हैं।

इस नियम को 13 मार्च 2018 को बदल दिया गया और ऊपरी आयु सीमा को 48 वर्ष से घटाकर 1 जनवरी तक 45 वर्ष कर दिया गया।

इसके बाद अतिरिक्त जिला जजों की नियुक्त के लिए विज्ञापन दिया गया।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में महिलाओं को उच्चतर न्यायिक सेवाओं में क्षैतिज आरक्षण मिला हुआ है। दूसरी और, मध्य प्रदेश ने इस तरह की कोई सुविधा महिलाओं को नहीं दी है। अब ऊपरी आयु सीमा को 48 वर्ष से घटाकर 45 वर्ष करने से जिन महिलाओं को क्षैतिज आरक्षण नहीं मिला हुआ है वे मध्य प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा में नहीं बैठ सकतीं।


 
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