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रिटायर होने के बाद वेतनमान में पिछले प्रभाव से कटौती की क़ानून में इजाजत नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network
12 May 2018 1:38 PM GMT
रिटायर होने के बाद वेतनमान में पिछले प्रभाव से कटौती की क़ानून में इजाजत नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि रिटायर होने के बाद किसी व्यक्ति के वेतनमान में पिछले प्रभाव से हुए संशोधन के बाद राशि की वसूली की कानूनन इजाजत नहीं है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने नगर निगम की एक अवकाशप्राप्त शिक्षक को अदालत से राहत दिलाई।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति भरती डांग्रे ने शिक्षक की याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।

पृष्ठभूमि

शिक्षक ग्रेस पम्पूरिक्कल को 1970 में सहायक प्रशिक्षित शिक्षक नियुक्त किया गया था और वह फरवरी 2010 में रिटायर हो गईं। उस समय अंतिम वेतन के रूप में उन्हें 9200 रुपए मिला था। हालांकि, अगस्त 2011 में जब याचिकाकर्ता को पेंशन पुस्तिका दी गई तो उससे उनको पता चला कि उनका अंतिम वेतन 7410 रुपए था। इसके बाद यह आदेश दिया गया कि रिटायर होने के बाद उनको मिली राशि में से 1,40,030 रुपए उनसे वापस ले लिए जाएं।

याचिकाकर्ता के वकील राहुल वालिया ने अपनी दलील में कहा कि उनके मुवक्किल के वेतन में पिछले प्रभाव से कटौती करना और वह भी बिना उनको सूचना दिए अच्छी बात नहीं थी और यह अदालत में टिक नहीं सकता।

अपने जवाब में वृहन मुंबई नगर निगम ने कहा कि याचिकाकर्ता का अंतिम वेतन गलती से 9200 रुपए निर्धारित कर दिया गया जबकि इतनी राशि प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों को दी जाती है। इसलिए उनकी योग्यता को ध्यान में रखते हुए उनका वेतनमान कम कर दिया गया।

फैसला

कोर्ट ने कहा, “दूसरे पक्ष की दलील पर गौर करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता के वेतन को संशोधित किया और यह पिछले प्रभाव से लागू हुआ और ऐसा रिटायर होने के 17-18 महीने के बाद किया गया।”

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने इसी तरह के एक मामले की सुनवाई की। सैयद अब्दुल कादिर और अन्य बनाम बिहार राज्य और अन्य तथापंजाब एवं हरियाणा राज्य बनाम रफ़ीक मसीह (सफेदी करने वाला) एवं अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट ने भरोसा किया और कहा कि किसी कर्मचारी की सेवा के अंतिम दिनों में या उसके रिटायर होने के बाद इस तरह की वसूली की इजाजत क़ानून में नहीं है।

इस तरह, कोर्ट ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार कर ली और पिछले प्रभाव से वेतनमान में की जाने वाली कटौती को निरस्त कर दिया।


 
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