किसी विदेशी नागरिक के भारत में संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने पर कोई प्रतिबंध नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

11 May 2018 4:22 PM GMT

  • किसी विदेशी नागरिक के भारत में संपत्ति का उत्तराधिकार प्राप्त करने पर कोई प्रतिबंध नहीं : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

    यह अधिनियम (भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम) गैर भारतीय राष्ट्रीयता वाले किसी व्यक्ति को भारतीय इसाई की संपत्ति का उत्तराधिकारी बनने से नहीं रोकता है, पीठ ने कहा।

    यह फैसला देते हुए कि एक पाकिस्तानी बहन एक भारतीय नागरिक की संपत्ति का उत्तराधिकारी हो सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत में किसी विदेशी नागरिक के संपत्ति का उत्तराधिकार हासिल करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

    पृष्ठभूमि

    बीसी सिंह और उनकी पत्नी डॉ. एसएल सिंह इसाई थे। पत्नी की मौत के बाद बीसी सिंह (वादी) ने संपत्ति के कब्जे के लिए जेएम उतरिद (प्रतिवादी) के खिलाफ मामला दायर किया। सिंह ने कहा कि विवादित संपत्ति उनकी थी और इसका लाइसेंस उनके पास था जिसे रद्द कर दिया गया और इस आधार पर उन्होंने मुआवजे की मांग भी की। इस मामले को खारिज कर दिया और बाद में हाई कोर्ट ने भी इस फैसले को सही ठहराया।

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को गलत ठहराया। वादी ने यह कहा कि इस संपत्ति का वह एकमात्र मालिक है। यह भी कहा गया कि इडा उतरिद की तुलना में प्रथम प्रतिवादी उसका दूर का संबंधी था। इडा डॉ. एसएल सिंह की अपनी बहन है और इसके बावजूद कि इडा विदेशी थी, उस पर अपनी मृत बहन डॉ. एसएल सिंह की संपत्ति में हिस्सा प्राप्त करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

    प्रतिवादी के वकील ने कहा कि इडा उतरिद अपनी बहन की परिसंपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं हो सकती क्योंकि वह पाकिस्तानी नागरिक है। प्रतिवादी उसकी आत्मीय है और इसलिए वह इस संपत्ति का एक चौथाई हिस्से का उत्तराधिकारी है।

    इस संदर्भ में न्यायमूर्ति एनवी रमना और न्यायमूर्ति अब्दुल नज़ीर की पीठ ने कहा, “डॉ. एसएल सिंह निश्चित रूप से एक भारतीय इसाई हैं। इसलिए उनके द्वारा छोड़ी गई संपत्ति पर भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 लागू होगा। यह अधिनियम किसी ऐसे व्यक्ति को भारतीय इसाई की संपत्ति का उत्तराधिकारी होने पर प्रतिबंध नहीं लगाता जो कि भारतीय नागरिक नहीं है। भारत में किसी विदेशी नागरिक के संपत्ति का उत्तराधिकारी होने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।”

    कोर्ट ने कहा कि उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार जब कोई व्यक्ति बिना वसीयत बनाए मर जाता है और उसका कोई वारिश नहीं है और सिर्फ आत्मीय ही हैं, तो उस स्थिति में जो सबसे नजदीकी आत्मीय होता है वह दूर के आत्मीय को पीछे छोड़ देता है। पीठ ने यह भी कहा कि प्रथम प्रतिवादी दूर के आत्मीय हैं इसलिए इस संपत्ति में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है क्योंकि इस महिला की एक अपनी बहन भी है।

    कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए कहा, “इस मामले में डॉ. एसएल सिंह की अपनी बहन इडा उतरिद हैं। सिंह के कोई वारिश नहीं हैं और इडा उनकी सर्वाधिक नजदीकी आत्मीय हैं और सिंह की तरजीही उत्तराधिकारी हैं और उनको इस संपत्ति में एक चौथाई हिस्सा मिल सकता है।”


     
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