पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई, कहा 14 मई को हों चुनाव [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
10 May 2018 9:42 PM IST
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने राज्य चुनाव आयोग की अर्जी पर कलकत्ता हाईकोर्ट के ईमेल से प्रत्याशियों नामांकन स्वीकार करने के आदेश पर रोक लगा दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मतदान 14 मई को ही होगा।
बेंच ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वो कोर्ट के आदेश के बिना उन उम्मीदवारों के नतीजे घोषित नहीं करेगा जिनके सामने कोई प्रत्याशी खडा नहीं हुआ और बिना विरोध उन्हें चुना गया।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश बुरा है। हाईकोर्ट कैसे जनप्रतिनिधि एक्ट में IT एक्ट के तहत आदेश दे सकता है।लेकिन निष्पक्ष चुनाव भी एक मुद्दा है। 34 फीसदी उम्मीदवारों का कोई विरोध नहीं हुआ और वो चुने गए ये परेशानी वाली बात है।
सुप्रीम कोर्ट ने CPIM , बीजेपी और कांग्रेस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। तीन जुलाई को सुनवाई की जाएगी।
राज्य चुनाव आयोग की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि हाईकोर्ट ईमेल से नामांकन दाखिल करने को कैसे कह सकता है ? हाईकोर्ट ने ये भी आदेश दिया है। कि नामांकन पत्रों को स्वीकार किया जाए। ये आदेश सही नहीं है क्योंकि नामांकन में अफसर के सामने साइन करने होते हैं। कागजात की जांच की जाती है।
वहीं CPIM की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अशोक भान ने कहा कि हाईकोर्ट ने हालात को देखते हुए ये आदेश जारी किए हैं। पीठ को वहां के हालात समझने चाहिए। सत्ताधारी पार्टी के लोग दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों को नामांकन तक दाखिल नहीं करने दे रहे।
वही बीजेपी की ओर से वरिष्ठ वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि हालात इतने खराब हैं कि करीब 22000 प्रत्याशियों यानी 34 फीसदी TMC प्रत्याशियों के खिलाफ कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ रहा है।
दरअसल राज्य चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की तुरंत सुनवाई की। कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग को पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों के लिए उन लोगों के नामांकन स्वीकार करने का आदेश दिए थे जिन्होंने आयोग को ई-मेल के जरिए अपने दस्तावेज भेजे थे।