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सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार से कहा, 6 या 7 अवैध मंजिलों का निर्माण कैसे ? ये अनजाना नहीं बल्कि मौन सहमति है

LiveLaw News Network
10 May 2018 9:14 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार से कहा, 6 या 7 अवैध मंजिलों का निर्माण कैसे ? ये अनजाना नहीं बल्कि मौन सहमति है
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हिमाचल प्रदेश सरकार पर गैरकानूनी निर्माण को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं करने के लिए  फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है  कि कई जगहों पर पर्यटक लॉज के रूप में छह या सात मंजिल कैसे बनाई जा रही हैं जबकि बिल्डिंग प्लान के अनुसार  केवल एक मंजिल की ही अनुमति है।

कोर्ट ने इस मुद्दे पर बुधवार को सरकार से सीलिंग और तोड़फोड़  अभियान में शामिल अधिकारियों के नाम और पदनाम के बारे में एक नया हलफनामा दायर करने के लिए कहा है ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में कोई अवैध निर्माण नहीं हो रहे हैं।

पीठ ने राज्य के एडवोकेट जनरल से ये भी जानना चाहा कि  अभियान में शामिल अन्य अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं  लेकिन पीठ ने कहा कि वह उच्च न्यायालय के क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेगा जो अवैध निर्माण के मुद्दे पर विचार कर रहा है।

तीन मई को हिमाचल के सोलन जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर होटलों में हुए अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई के दौरान होटल मालिक द्वारा सहायक टाउन प्लानर की गोली मारकर हत्या करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार पर बड़े सवाल उठाए थे।

जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने हिमाचल सरकार से कहा कि राज्य में अवैध निर्माणों पर सरकार क्या कर रही है? कानून तोड़ने वालों को प्रोत्साहन नहीं दिया जाना चाहिए। बेंच ने कहा कि इस दौरान अफसर की हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण है। अफसर की हत्या कोर्ट के आदेश की वजह से नहीं बल्कि कानून को लागू ना करने पर हुई है। जस्टिस लोकुर ने हिंदी में बोलते हुए कहा कि ये ऐसा है कि हम तो अवैध निर्माण करेंगे फिर कोर्ट में देखेंगे। अगर कोई अफसर तोड़फोड़ के लिए आया तो उसे गोली मार देंगे।

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जो लोग कानून का पालन करते हैं वो दुखी हैं और जो कानून तोडते हैं उनको प्रोत्साहित किया जाता है।कानून का शासन लागू किया जाना चाहिए ना कि कानून तोडने वालों को बढावा दिया जाना चाहिए

बेंच ने राज्य सरकार को कहा है कि वो कसौली में हुई  घटना के अलावा राज्य में अवैध निर्माण पर नीति को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें।  वहीं हिमाचल प्रदेश के एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने बेंच को बताया कि जिस वक्त घटना हुई, लंच चल रहा था। इसी दौरान महिला अफसर दो अफसरों के साथ नारायणी गेस्ट हाउस चली गईं। जब गोलियों की आवाज सुनी, लंच कर रहे पुलिसकर्मी वहां पहुंचे। उन्होंने बेंच को बताया कि इसके बावजूद इलाके में तोड़फोड़ जारी है और पर्याप्त सुरक्षा बल मुहैया कराया गया है। डिविजनल कमिश्नर को जांच करने को कहा गया है। महिला अफसर के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है।

दरअसल हिमाचल के सोलन जिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर होटलों में हुए अवैध निर्माण गिराने की कार्रवाई के दौरान होटल मालिक द्वारा सहायक टाउन प्लानर की गोली मारकर हत्या करने के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है।  जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और कहा था कि ये मामला सीधे तौर पर अवमानना का बनता है। वकील सूर्य नारायण सिंह ने बेंच के सामने इस केस को मेंशन किया और बताया कि पुलिस बल की मौजूदगी में नारायणी गेस्ट हाउस के मालिक विजय सिंह ने महिला अफसर शैल बाला को गोली मार दी जिससे उनकी मौत हो गई। वहीं एक अन्य कर्मचारी घायल हो गया। वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील अभिनव मुखर्जी ने कहा कि उस वक्त लंच चल रहा था। पुलिस ने कई टीमे लगाई हैं और जल्द ही आरोपी को गिरफ्तार किया जाएगा।

 लेकिन जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जिस तरह आरोपी विजय ने घटना को अंजाम दिया वो गंभीर है। ये पूरी तरह अवमानना का मामला है।  मीडिया की रिपोर्ट और वीडियो से साफ है कि आरोपी ने महिला अफसर से बहस की और फिर झगडा किया। बेंच ने प्रशासन उठाते हुए कहा कि वहां पर  160 पुलिसवाले थे लेकिन महिला अफसर को कोई सुरक्षा नहीं दी गई। पुलिस के बावजूद आरोपी कैसे गोलियां चलाकर पिस्तौल लहराते हुए मौके से फरार हो गया ? पुलिस घटनास्थल के पास थी लेकिन फिर भी आरोपी को पकड़ा नहीं जा सका। जस्टिस मदन बी लोकुर ने कहा  अगर इस तरह लोगों की हत्या होती रही तो हम  इस तरह के आदेश जारी करना बंद कर सकते हैं। ये अफसर हमारे ही आदेश का पालन कर रहे थे।

गौरतलब है कि 17 अप्रैल को बेंच ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में होटलों और रेस्टोरेंट में हुए  अवैध निर्माणों को तोड़ने के आदेश जारी किए थे। 13 होटलों के मालिकों ने NGT के आदेश को चुनौती दी थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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