ताजमहल के संगमरमर के रंग बदलने पर ASI को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार

LiveLaw News Network

10 May 2018 10:45 AM IST

  • ताजमहल के संगमरमर के रंग बदलने पर ASI को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई कड़ी फटकार

    न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने ASI के वकील डी एन राव से कहा , "तो आप के अनुसार, आप ताज की बहुत अच्छी तरह देखभाल कर रहे हैं और कुछ नहीं किया जाना चाहिए..आप यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो कि कोई समस्या है।” 

    सुप्रीम कोर्ट ने आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग पर जोरदार टिप्पणियां की क्योंकि प्यार के स्मारक प्रतिष्ठित ताजमहल अपने संगमरमर के रंग को तेजी से खो रहा है और वो  दृढ़ जवाब नहीं दे रहा था।

     न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने ASI के वकील ए डी एन राव से कहा , "तो आप के अनुसार, आप ताज की बहुत अच्छी तरह देखभाल कर हे हैं और कुछ नहीं किया जाना चाहिए..आप यह स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो कि कोई समस्या है।” 

    इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल हैं।  यह तब हुआ जब पहली बार कहा गया कि ताज की सतह पर हरे रंग के पैच कीड़ों से बना था जो आसन्न यमुना नदी के स्थिर पानी से आते हैं और फिर बाद में कहा गया कि यह काई के कारण हुआ है।

     न्यायमूर्ति लोकुर ने दोबारा जवाब दिया: "क्या? उड़ने वाली काई ? क्या काई के  पंख हैं।? देखो  राव आप गंभीर नहीं हैं। तथ्य यह है कि आपको  पता नहीं है कि रंग में परिवर्तन क्यों हो रहा है। राव ने शुरुआत में कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद से इस मामले को देख रहे हैं।”  केंद्र के लिए उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एएसआई पर थोपना  गलत है और सबसे पहले हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि ताज के साथ कोई समस्या है।

     हम ताजमहल के रंग के परिवर्तन पर चिंतित हैं। यह पीला हो गया, फिर भूरा हो गया और अब हरा हो रहा है। ऐसा क्यों हो रहा है? क्या हो रहा है? न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और दीपक गुप्ता की पीठ ने 1 मई को केंद्र से पूछा था।

    सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एएनएस नादकर्णी से कहा कि केंद्र नुकसान का आकलन करने के लिए भारत और विदेशों के विशेषज्ञों की सहायता ले  और फिर ऐतिहासिक स्मारक को बहाल करने के लिए कदम उठाए।  "अगर स्थिति की आवश्यकता है और आप इसकी जड़ तक पहुंचने में असमर्थ हैं तो आप देश के बाहर से विशेषज्ञ भी ला सकते हैं।” पीठ ने कहा।

     "हम नहीं जानते कि आपके पास विशेषज्ञ है या नहीं, शायद आपके पास विशेषज्ञ हों।  भले ही आपके पास विशेषज्ञ हों, आप इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। या शायद आपको परवाह नहीं है।"

      याचिकाकर्ता पर्यावरणविद् एमसी मेहता द्वारा प्रस्तुत तस्वीरों को देखने के बाद ये टिप्पणियां आईं। मेहता ने क्षेत्र में और आसपास प्रदूषण गैसों और वनों की कटाई के दुष्प्रभावों से ताज की सुरक्षा मांगी थी।

    नादकर्णी ने कहा कि स्मारक का प्रबंधन और संरक्षण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है।  को आगे की सुनवाई के लिए 9 मई का दिन तय किया गया है।

     9 दिसंबर को बेंच ने कहा था कि  हम ताजमहल की रक्षा के लिए एक भविष्यवादी दृष्टिकोण के साथ एक व्यापक और समावेशी दस्तावेज चाहते हैं क्योंकि अनौपचारिक और अस्थायी उपाय कुछ सौ वर्षों तक पर्याप्त नहीं हैं।

     न्यायाधीशों ने कहा: "प्रस्तावित कदम पर्याप्त नहीं हैं। राज्य को अपने नौकरशाही दृष्टिकोण से बाहर आना चाहिए और दीर्घकालिक कदमों का पता लगाना चाहिए। पूरे परिदृश्य का एक बड़ा और व्यापक परिप्रेक्ष्य राज्य सरकार द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए और हितधारकों को एक साथ बैठना चाहिए और भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्मारक को संरक्षित और संरक्षित करने के तरीके के साथ सामने आना चाहिए। "

    खंडपीठ ने कहा, "हम यह भी महसूस करते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों सहित नागरिक समाज को इस दिशा में रणनीति तैयार करने में शामिल होना चाहिए।”  सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक विरासत, पर्यावरण और वन्यजीवन से संबंधित विशेषज्ञों को इसमें भाग लेना चाहिए। खंडपीठ ने कहा, "वो न केवल अधिकारियों से परामर्श करेंगे बल्कि याचिकाकर्ता एम सी मेहता समेत सिविल सोसाइटी के व्यक्ति भी शामिल होंगे, जिन्होंने ताज और उसके पर्यावरण की रक्षा के प्रयासों में 33 से अधिक वर्षों का समय व्यतीत किया है।

    Next Story