सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वह अधिकरणों की निगरानी के लिए स्वायत्त निकाय के गठन पर मोटे तौर पर सहमत है [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
8 May 2018 9:21 PM IST
इस तरह की निकाय भर्ती और अधिकरणों के सदस्यों के कामकाज की निगरानी कर सकती है, कोर्ट ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह मोटे और पर एक ऐसे प्रभावी और स्वायत्त निकाय की परिकल्पना के पक्ष में है जो कुछ आवश्यक अपवादों को छोड़कर सभी अधिकरणों पर नज़र रखे।
पीठ ने कहा सुप्रीम कोर्ट के तीन अवकाशप्राप्त जजों की एक समिति के गठन का निर्देश दिया जो कि अधिकरणों में काम कर चुके हैं और उनको निम्नलिखित बातों पर गौर करने को कहा है :
- नियमित कैडर का निर्माण और अधिकरण में भर्ती के लिए अर्हताओं का निर्धारण;
- एक स्वायत्त निगरानी निकाय की स्थापना जो सदस्यों की भर्ती और उनके प्रदर्शन और अनुशासन जैसे मुद्दों का ख़याल रख सके;
- इस अदालत में सीधे अपील की योजना में संशोधन ताकि अधिकरण के आदेश को हाई कोर्टों के न्यायिक क्षेत्राधिकार में लाया जा सके;
- अधिकरण की पीठों को ऐसे स्थानों पर स्थापित किया जाए कि लोग उस तक आसानी से पहुँच सकें। उन्हें सिर्फ दिल्ली या सिर्फ अन्य किसी एक ही स्थान पर नहीं स्थापित किया जाए। विकल्प के तौर पर वर्तमान अदालतों पर विशेष अदालत या अधिकरण का दर्जा देना;
पीठ केरल हाई कोर्ट के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका दायर करने पर विचार कर रही थी। इस फैसले में हाई कोर्ट ने SARFAESI अधिनियम की धारा 13(5A) के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया था। सुनवाई के दौरान, यह मामला उठा कि अधिकरण में नियुक्ति के नियमों में संशोधन की जरूरत तो नहीं है ताकि न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जा सके। वरिष्ठ एडवोकेट अरविंद पी दातर को इस मामले में अमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है।
कोर्ट ने अमिकस क्यूरी के इस सुझाव को भी उद्धृत किया कि यूके की तरह ही एक अखिल भारतीय अधिकरण सेवा की स्थापना की जाए।
“इसके सदस्यों का चयन या तो उच्चतर न्यायिक सेवा में काम कर रहे लोगों में से किया जाए या फिर उपयुक्त योग्यता वाले लोगों का राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा द्वारा चयन किया जाए। उनके कार्यों और प्रदर्शनों की निगरानी एक स्वतंत्र निकाय करे वैसे ही जैसे अनुच्छेद 235 के तहत हाई कोर्ट करता है। सीधे अपील पर अवश्य ही रोक लगाई जानी चाहिए। अधिकरण के सदस्य न केवल हाई कोर्ट में नियुक्ति के योग्य होंगे बल्कि उनके नामों पर उसी तरह गौर किया जाए जैसे उच्चतर न्यायिक सेवाओं के सदस्यों पर गौर किया जाता है। इससे हाई कोर्ट के पास अधिकरण के फैसलों से निपटने के लिए पर्याप्त योग्य लोग उपलब्ध होंगे...जब भी अधिकरण का मात्र एक सीट होता है, इसकी पीठ की व्यवस्था हर राज्यों में हो या कम से कम सभी क्षेत्रों में, जहां भी इस तरह के मामले आते हैं...”, पीठ ने कहा।