सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से कहा, सिर्फ कोर्ट में याचिका डालने वाले का ही नहीं, सभी उम्मीदवारों के परीक्षा परिणामों को संशोधित करें [निर्णय पढ़ें]

LiveLaw News Network

7 May 2018 11:18 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से कहा, सिर्फ कोर्ट में याचिका डालने वाले का ही नहीं, सभी उम्मीदवारों के परीक्षा परिणामों को संशोधित करें [निर्णय पढ़ें]

    जब परीक्षा देने वाले उम्मीदवारों के उत्तर सही हैं, तो उनको यह हक़ है कि वे अपने परीक्षा परिणामों की समीक्षा की मांग करें। दोष परीक्षार्थियों में नहीं है बल्कि परीक्षा का आयोजन करने वाली निकाय में है, पीठ ने कहा।

    सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग को स्कूल लेक्चरर एग्जाम, 2015 में बैठने वाले सभी उम्मीदवारों के परीक्षा परिणामों की समीक्षा करने को कहा है। कोर्ट के आदेश के बाद गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ याचिका दायर करने वाले उम्मीदवार की ही नहीं, बल्कि सभी उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की समीक्षा की जानी चाहिए।

    मामले के प्रथम चरण में राजस्थान हाई कोर्ट ने राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्कूल लेक्चरर एग्जाम, 2015 में उम्मीदवारों के संशोधित उत्तर की और विशेषज्ञों की राय अपने वेबसाइट पर अपलोड करने की कुछ उम्मीदवारों की दलील मान ली थी। इस मामले में दूसरे दौर का मामला तब शुरू हुआ जब अन्य छात्रों ने भी उत्तर की को लेकर कई याचिकाएं दायर कीं। इन याचिकाओं को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया।

    इस निर्णय से असंतुष्ट कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली जिसने विशेषज्ञों की एक अन्य समिति के गठन का निर्देश दिया। आयोग ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट मान ली और 311 उम्मीदवारों के परीक्षा परिणामों को संशोधित करने को उद्यत हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

    न्यायमूर्ति एके सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि चूंकि अब की उत्तरों को ठीक कर लिया गया है, जिन उम्मीदवारों का चयन हो गया है उनके अतिरिक्त शेष बचे उम्मीदवारों के मेरिट के पुनर्निर्धारण की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, “जब परीक्षा देने वाले छात्रों के की उत्तर सही हैं, तो अपने परीक्षा परिणाम के संशोधन का उनको हक़ है। दोष परीक्षार्थियों का नहीं परीक्षा लेने वाली निकाय का है। अगर इस फैसले का उन उम्मीदवारों को लाभ नहीं मिलता है जो इस कोर्ट में नहीं आए हैं तो यह उनके साथ समानता का न्याय नहीं होगा...”। यह कहते हुए कोर्ट ने 311 उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका को बंद कर दिया।


     
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