व्हाट्सएप्प पर ‘डबल टिक’ प्रथम दृष्टया यह बताता है कि सम्मन मिल चुका है [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

5 May 2018 3:07 PM GMT

  • व्हाट्सएप्प पर ‘डबल टिक’ प्रथम दृष्टया यह बताता है कि सम्मन मिल चुका है [आर्डर पढ़े]

    कोर्ट ने मार्च में एक महिला को अपने अलग हुए पति को वहाट्सएप्प द्वारा सम्मन भेजने की अनुमति दी थी 

    दिल्ली की एक अदालत ने घरेलू हिंसा के एक मामले में एक महिला को अपने अलग हुए पति को ऑस्ट्रेलिया में व्हाट्सएप्प से सम्मन भेजने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा कि व्हाट्सएप्प पर ‘डबल टिक’ प्रथम दृष्टया यह बताता है कि सम्मन मिल गया है।

    “रिकॉर्ड के लिए रखे गए दस्तावेज से पता चलता है कि व्हाट्सएप्प संदेश पर डबल टिक है जो प्रथम दृष्टया यह बताता है कि प्रतिवादी नंबर 1 (अलग हुआ पति) के मोबाइल नंबर पर यह संदेश प्राप्त हो चुका है,” यह कहना था मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (महिला अदालत) सुरभि शर्मा वत्स का।

    हालांकि, इस संदेश मिलने के बाद भी प्रतिवादी कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ।

    मजिस्ट्रेट वत्स ने महिला को अपने अलग हुए पति को मोबिल से संदेश भेजने की अनुमति दी थी जब उसके वकील ने कोर्ट से कहा था कि उसको इससे पहले दो सम्मन की तामील नहीं हो पाई थी।

    इसके बाद ही महिला ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर यह बताया था कि वह जिस मोबाइल नंबर और ईमेल पर संदेश भेज रही है वह उससे अलग हुए उसके पति का है।

    कोर्ट ने इस बात पर भी गौर किया कि इससे पहले उसने 15 जुलाई 2017 को इससे जुड़े मामले में कोर्ट द्वारा जारी आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसके पति के बदले उसके रिश्तेदार कोर्ट में हाजिर हुए थे। इस पर कोर्ट ने कहा कि इसका मतलब यह है कि प्रतिवादी इस बात से वाकिफ है कि उसको वर्तमान मामले में कोर्ट में पेश होने को कहा जा रहा है।

    इस मामले में पति अपनी पत्नी और एक नाबालिग बच्चे को छोड़कर पढाई के लिए ऑस्ट्रेलिया चला गया था। शिकायतकर्ता अपनी दो साल की बेटी के साथ नोएडा के अपने किराए के घर में ही रह रही थी पर जब उसके पति ने किराया देना बंद कर दिया वह अपने दिल्ली में रह रहे अपने माँ-बाप के पास चली गई।

    कुछ माह के बाद उसने शिकायतकर्ता से हर तरह का संपर्क तोड़ लिया और शिकायतकर्ता के संदेशों का जवाब देना बंद कर दिया।

    इस बीच वह भारत भी आया पर शिकायतकर्ता या अपनी बेटी से नहीं मिला।

    इसके बाद महिला ने उसके खिलाफ घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कर दिया और अपने और अपनी बेटी के लिए उससे गुजारा भत्ता देने की गुहार लगाई।

    कोर्ट के सम्मन पति के लक्ष्मीनगर स्थित पते पर भेजा गया पर वह इस संदेश के साथ वापस हो गया कि इस पते पर कोई नहीं रहता है। तभी जाकर यह पता चला कि उस प्रोपर्टी को बेच दिया गया है।


     
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