NEET-2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख उम्मीदवारों को कड़ा और कृपाण पहनने की अनुमति दी, कहा जांच के लिए एक घंटा पहले पहुंचे [आर्डर पढ़े]

LiveLaw News Network

5 May 2018 12:05 PM GMT

  • NEET-2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिख उम्मीदवारों को कड़ा और कृपाण पहनने की अनुमति दी, कहा जांच के लिए एक घंटा पहले पहुंचे [आर्डर पढ़े]

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रीय योग्यता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) में हिस्सा लेने वाले सिख उम्मीदवारों को कड़ा पहनने और कृपाण ले जाने की इजाजत दे दी। ये परीक्षा 6 मई को होगी। हाईकोर्ट ने माना है कि सीबीएसई की "सिख उम्मीदवारों के लिए सुविधा की कमी अन्यायपूर्ण है।”

    हालांकि न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट्ट और न्यायमूर्ति एके चावला की  बेंच ने इस तरह के छात्रों को उचित स्क्रीनिंग के लिए प्रवेश परीक्षा से एक घंटे पहले रिपोर्ट करने का निर्देश दिया, “ अगर स्क्रीनिंग पर यह पता चला कि कोई उम्मीदवार वास्तव में कड़ा या कृपाण में  एक संदिग्ध उपकरण ले जा रहा है को उसे कहा जा सकता है कि उसे परीक्षा हॉल में ना ले जाए। "

    अदालत दिल्ली की सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति  सहित कई याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी जिसमें उन लोगों पर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती दी गई थी जो उन्हें कड़ा पहनने कृपाण रखने से रोकते हैं और वो सिख धर्म का दावा करने वाले सभी के लिए अनिवार्य हैं।

    दूसरी ओर सीबीएसई ने प्रस्तुत किया था कि अनुचित साधनों के उपयोग के पिछले उदाहरणों के संदर्भ में ये निर्णय लिया गया था।

    इसलिए इसने दलील दी  थी कि ये प्रतिबंध "बड़े सार्वजनिक हित" के संदर्भ में था और जोर देकर कहा था कि आस्था की सामग्री  के प्रवेश पर लगाए गए प्रतिबंधों पर कोई विरोध नहीं किया जा सकता।

    हालांकि अदालत ने नोट किया कि कोई कानून नहीं है जो परीक्षा कक्ष में कड़ा या कृपाण पर प्रतिबंध लगाता है। इसने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि एयरक्राफ्ट और कई अन्य सार्वजनिक स्थानों व अत्यधिक प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी कड़ा और कृपाण की अनुमति है।

    अदालत ने आदेश दिया, "जाहिर है, यहां तक ​​कि उन स्थानों पर भी सार्वजनिक सुरक्षा का मुद्दा या ऐसी सामग्री के  उपयोग के संभावित खतरे होंगे; साथ ही, अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि संविधान का प्रावधान अन्यथा के बजाय नियम है। कड़ा और कृपाण पहनने वाले लोगों द्वारा अनुचित साधनों के उपयोग के वास्तविक खतरे की अनुपस्थिति, किसी भी उद्देश्य तथ्यों की पहचान या सूचक के बिना धातु वस्तुओं पर पूरी तरह प्रतिबंध उचित नहीं होगा। "


     
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