जनसंख्या नगरपालिका के वर्गीकरण का एकमात्र आधार नहीं : सुप्रीम कोर्ट [आर्डर पढ़े]
LiveLaw News Network
5 May 2018 10:16 AM IST
नगरपालिकाओं को सिर्फ जनसंख्या के आधार पर वर्गीकृत करने के आधार पर जारी राजस्थान सरकार की अधिसूचना को अनुच्छेद 243 (Q)(2) के अधीन अधिसूचना नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगरपालिकाओं के गठन के क्रम में राज्यपाल अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए किसी भी ‘क्षेत्र’ को नगरपालिका घोषित नहीं कर सकता, उसे इस तरह के मानदंड निर्धारित करने होंगे जिसके द्वारा वह यह निर्धारित कर सकता है कि यह विशेष क्षेत्र ट्रांजिशनल क्षेत्र या छोटा शहरी क्षेत्र या बड़ा शहरी क्षेत्र है।
न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 243(Q)(2) के तहत राज्यपाल के लिए यह जरूरी है कि किसी क्षेत्र को अधिसूचित करने से पहले उसके विभिन्न मानदंडों पर गौर करना चाहिए जैसे उस क्षेत्र की जनसंख्या, जनसंख्या का घनत्व, स्थानीय प्रशासन वाले क्षेत्र से प्राप्त होने वाला राजस्व, गैर-कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोगों का प्रतिशत, आर्थिक महत्त्व और इसी तरह के अन्य मुद्दे जिनको वह सही समझते हैं।
यह पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय किशन कौल भी शामिल हैं, राजस्थान सरकार द्वारा नापसार गाँव के लिए नगरपालिका के गठन की अधिसूचना को चुनौती देने से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका को राजस्थान हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था जिसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया।
पीठ ने कहा, “अधिसूचना को देखकर ऐसा लगता है कि यह नगरपालिका को मात्र जनसंख्या के हिसाब से वर्गीकृत करता है। इसमें अनुच्छेद 243(Q)(2) के तहत अन्य मानदंडों पर गौर नहीं किया गया।” कोर्ट ने कहा कि इस अधिसूचना को अनुच्छेद 243(Q)(2) के तहत अधिसूचना नहीं माना जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 243(Q)(2) के मानदंडों पर खड़ा उतरने वाली अधिसूचना के अभाव में नापसार गांवों के ग्रामपंचायतों को नगरपालिका में बदलने का राजस्थान सरकार का प्रयास असंवैधानिक है।