पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों पर ECI, PCI और LCI की सिफारिशों को लागू करें: सुप्रीम कोर्ट में याचिका [याचिका पढ़े]
LiveLaw News Network
30 April 2018 8:46 PM IST
पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों पर भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई), प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) और भारत के विधि आयोग (एलसीआई) की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है।
भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में यह भी मांग है कि "पेड न्यूज" के प्रकाशन को जनप्रतिनिधि अधिनियम , 1951 के तहत एक भ्रष्ट अभ्यास घोषित किया जाए।
इसमें "चुनावी सुधार" पर विधि आयोग की 255 वीं रिपोर्ट को संदर्भित किया गया है।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विज्ञापन और समाचार सामग्री की स्पष्ट सीमा के लिए दिशानिर्देशों के अस्तित्व के बावजूद, इन्हें या तो पूरी तरह से हटा दिया जाता है या अनदेखा किया जाता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि "समाचार के लिए भुगतान", "समाचार के लिए भुगतान प्राप्त करना" और "राजनीतिक विज्ञापन" की परिभाषा 1951 अधिनियम की धारा 2 में डाली जानी चाहिए।
इसके अलावा उसमें सुझाव दिया था कि अधिनियम के तहत अयोग्यता की सजा के साथ "समाचार के लिए भुगतान" / "समाचार के लिए भुगतान प्राप्त करना" चुनावी अपराध घोषित किया जाना चाहिए। इसके अलावा छिपे हुए राजनीतिक विज्ञापन के अभ्यास को रोकने के लिए उसमें मीडिया के सभी रूपों के लिए प्रकटीकरण प्रावधानों की सिफारिश की गई थी।
याचिका में ईसीआई के साथ-साथ पीसीआई द्वारा विभिन्न समान सिफारिशों को संदर्भित किया गया है। इसमें प्रस्तुत किया गया है कि ईसीआई ने चुनाव के समापन तक 48 घंटे की अवधि के लिए राजनीतिक दलों द्वारा विज्ञापनों के प्रकाशन के निषेध का सुझाव दिया था, पीसीआई ने सिफारिश की थी कि भुगतान समाचार भ्रष्ट अभ्यास घोषित किया जाना चाहिए।
इसके बाद ये तथ्य दिया गया है कि मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे तक 48 घंटे की अवधि के लिए टेलीविज़न पर विज्ञापन प्रतिबंधित हैं, "इस दिन और उम्र में कम होने वाले खंड के दायरे के कारण, राजनीतिक दल और उम्मीदवार न केवल घर-घर की यात्राएं करतें हैं, बल्कि मतदान के दिन सहित इस अवधि के दौरान रेडियो, प्रिंट मीडिया और डिजिटल मीडिया के माध्यम से विज्ञापन जारी करते हैं। "
नागरिकों पर इस तरह की पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों के प्रभाव को उजागर करते हुए याचिका में कहा गया है, "काले धन और संबंधित वित्तीय कदाचार पेड न्यूज और राजनीतिक विज्ञापनों के अभिन्न अंग हैं।
इससे उम्मीदवार अपने चुनावी खर्च की सीमा को प्रकट नहीं करते और ये खर्च गैरकानूनी व्यय के रूप में रह जाता है। यह उम्मीदवारों के लिए एक असमान खेल का मैदान बनाता है क्योंकि सभी उम्मीदवार आर्थिक रूप से समान नहीं हैं, भले ही वह कागज पर दिखाए ..... चुनावी जनसांख्यिकीय का विश्वास और भरोसा जिसका हमारा लोकतंत्रआनंद लेता है, जल्द ही खो जाएगा, अगर भुगतान समाचार और राजनीतिक विज्ञापन अप्रत्याशित रहते हैं और नए मानदंड बन जाते हैं।"
इसके बाद मांग करते हुए कि इन सभी अधिकारियों द्वारा सुझाए गए इस तरह के उपायों को लागू किया जाए, याचिका का दावा है, "... भारत एक समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है और इसकी नींव में फ्री एंड फेयर चुनाव की रक्षा की जानी चाहिए।
इसलिए अनुच्छेद 324 के तहत पूर्ण शक्ति का आनंद लेने वाले कार्यपालिका और ईसीआई द्वारा इस संबंध में कदम उठाने के लिए कड़े प्रयास करने की जरूरत है। "