Begin typing your search above and press return to search.
ताजा खबरें

न्यायमूर्ति लोकुर और गोगोई ने सीजेआई को पत्र लिखकर कहा, सुप्रीम कोर्ट संस्थागत मुद्दों और उसके भविष्य पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट बुलाएं

LiveLaw News Network
25 April 2018 5:51 PM GMT
न्यायमूर्ति लोकुर और गोगोई ने सीजेआई को पत्र लिखकर कहा, सुप्रीम कोर्ट संस्थागत मुद्दों और उसके भविष्य पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट बुलाएं
x

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव उप राष्ट्रपति द्वारा रद्द कर दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों रंजन गोगोई और एमबी लोकुर ने सीजेआई मिश्रा को पत्र लिखकर फुल कोर्ट बुलाने को कहा है ताकि संस्थागत विषयों और इस अदालत के भविष्य पर चर्चा की जा सके। इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के हवाले से यह बात कही गई है।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के दो वरिष्ठ जज न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति जोसफ ने भी इससे पहले सीजेआई को पत्र लिखा था और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्त में सरकारी हस्तक्षेप पर चर्चा के लिए फुल कोर्ट बुलाने को कहा था।

यह घटना न्यायमूर्ति पी कृष्ण भट के खिलाफ शुरू की गई जांच के बारे में है जिनको सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति करने की अनुशंसा कॉलेजियम ने की है। उनकी पदोन्नति पर रोक लगाते हुए केंद्र ने भट के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सीधे हाई कोर्ट को पत्र लिखा।

न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने इसकी नींदा की और कहा कि अगर केंद्र को भट के बारे में कोई आपत्ति थी तो उसे इसकी जानकारी कॉलेजियम को देनी चाहिए थी न कि सीधे हाई कोर्ट को लिखकर उसे भट के खिलाफ जांच शुरू करवानी चाहिए थी।

इसी तरह की चिंता जाहिर करते हुए न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ ने भी सरकार की आलोचना की थी और कहा कि वह कॉलेजियम के सुझावों पर कोई कदम नहीं उठा रहा है और एडवोकेट इंदु मल्होत्रा और उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ की पदोन्नति को हरी झंडी नहीं दे रहा है।

जोसफ ने सीजेआई को लिखे पत्र में कहा था कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि तीन महीना बीत जाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा पर केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया है।

उन्होंने सरकार की इस चुप्पी को “अधिकारों का दुरूपयोग” बताया और कहा कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खतरनाक है। उन्होंने कहा कि इससे गलत संदेश जाएगा और जो केंद्र की बात नहीं मानेंगे उनको परेशान किया जाएगा।

दिलचस्प बात यह है कि जिन चार चाजों ने अब सीजेआई को अलग अलग पत्र लिखा है उन्होंने गत वर्ष नवंबर में एक सम्मिलित पत्र लिखा था। इन जजों ने अपने पत्र में कहा था कि सीजेआई रोस्टर का प्रमुख होता है पर इसका मतलब यह नहीं है कि वह किसी से बड़ा होता है। इन जजों ने कहा था कि इस बारे में स्थापित परम्पराएं हैं जो सीजेआई का दिशानिर्देशित करते हैं और जिन्हें सीजेआई को मानना चाहिए।

पिछले नवंबर में लिखे इस पत्र में क्या लिखा गया था इसे इन चार जजों ने इस वर्ष जनवरी में अपने प्रेस कांफ्रेंस में बताया और जिन्हें सीजेआई के खिलाफ उप राष्ट्रपति को भेजे गए महाभियोग के प्रस्ताव में भी जगह दी गई थी।

Next Story