दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों के सामने पेश होने के बारे में जारी होने वाले नोटिस को लेकर दिशानिर्देश जारी किया [निर्णय पढ़ें]
LiveLaw News Network
24 April 2018 11:14 AM IST
दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में ऐसे दिशानिर्देश जारी किए हैं जो सीआरपीसी की धारा 41A के तहत पुलिस अधिकारियों के समक्ष पेशी की सूचना के बारे में है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ये दिशानिर्देश पुलिस महकमे के कार्यकलाप में पारदर्शिता लाने और संदिग्ध आरोपी व्यक्ति और उन लोगों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए जारी किए जा रहे हैं जिन्हें पुलिस के समक्ष पेश होना है।
पीठ ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का सीआरपीसी की धारा 91, 160 और 175 पर अमल के दौरान आवश्यक रूप से पालन करना होगा। इनके अतिरिक्त, दिल्ली पुलिस के वेबसाइट पर एक सर्कुलर पोस्ट करना होगा ताकि इसको पर्याप्त प्रचार-प्रसार मिल सके।
इसके अतिरिक्त, इस सर्कुलर को सभी पुलिस थानों में हिंदी और अंग्रेजी में टांगना होगा ताकि जो भी थाने आए वह इस प्रक्रिया के पालन करने के बारे में जान सके।
कोर्ट ने अमनदीप सिंह जोहर की याचिका पर यह दिशानिर्देश जारी किया। उन्होंने दावा किया था कि उनको उनके माता-पिता और रिश्तेदारों के साथ उनकी पत्नी की शिकायत पर नई दिल्ली की महिला अपराध प्रकोष्ठ में पेश होना पड़ा। उन्होंने शिकायत की कि प्रकोष्ठ के साथ सहयोग करने के बावजूद उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 498A और और 406 के तहत एफआईआर दर्ज किया गया।
जोहर ने यह भी बताया कि जांच के दौरान उनके साथ थाने में किस तरह से सलूक किया जाता था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनको बिना कोई लिखित नोटिस जारी किये नियमित रूप से थाने बुलाया जाता था।
इस महत्त्वपूर्ण मामले पर गौर करते हुए कोर्ट ने कहा, “...याचिकाकर्ता ने जो मुद्दे उठाए हैं वे महत्त्वपूर्ण हैं और ये दिल्ली पुलिस की कार्यवाही और उन लोगों के अधिकारों को प्रभावित करते हैं जिन्हें जांच के सिलसिले में थाने बुलाया जाता है। इसी कारण से हमने याचिकाकर्ता की शिकायतों की जांच की है और इस बारे में उपलब्ध व्यवस्था को अनुपयुक्त और अपर्याप्त पाया है।”
इसके बाद रजिस्ट्रार जनरल की अध्यक्षता में दिए गए रिपोर्ट और सुझावों के आधार पर तैयार दिशानिर्देश जारी किया जिसका पुलिस को किसी भी व्यक्ति को नोटिस जारी करने के समय पालन करना होगा।
दिशानिर्देश में कहा गया है कि अगर जांच अधिकारी सीआरपीसी के प्रावधानों को नहीं मानता है और जारी दिशानिर्देशों को नहीं मानता है तो उसके खिलाफ उपयुक्त नियम के तहत अनुशासनात्मक और न्यायालय की अवमानना की कार्रवाई होगी।
सभी जिलों के पुलिस उपायुक्तों को इस बारे में आम जनता को शिक्षित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाने को कहा है।
इन दिशानिर्देशों को थानों, अधीनस्थ अदालतों और उच्च न्यायालयों में सभी प्रमुख स्थलों पर लगाने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों में भी इसे उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि इसकी पर्याप्त प्रचार–प्रसार हो सके।
पुलिस और न्यायिक अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाने की बात भी कही गई है।